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कमाल का आविष्‍कार: साइकिल पर जॉगिंग करो बन जाएगी 'बाइक', बिना तेल दौड़ेगी तेज रफ्तार

यूआइईटी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के बीटेक अंतिम वर्ष के आठ छात्रों ने एक अनोखी साइकिल बनाई है। इस साइकिल पर जॉगिंग करने से यह 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भाग सकती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 10:03 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 10:03 AM (IST)
कमाल का आविष्‍कार: साइकिल पर जॉगिंग करो बन जाएगी 'बाइक', बिना तेल दौड़ेगी तेज रफ्तार
कमाल का आविष्‍कार: साइकिल पर जॉगिंग करो बन जाएगी 'बाइक', बिना तेल दौड़ेगी तेज रफ्तार

कुरुक्षेत्र, जेएनएन। आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि आपकी साइकिल देखते-देखते बाइक बन जाएगी। जी हां, ऐसा हो सकता है। यूआइईटी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आठ छात्रों ने एेसी साइकिल बनाई है जिस पर जॉगिंग करने से वह बाइक बन जाएगी और बिना तेल के 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार में दौड़ेगी। यूआइईटी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के बीटेक अंतिम वर्ष के आठ छात्रों ने यह कमाल किया है। वे अब इसे पेटेंट के लिए भेजने की तैयारी में हैं।

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सौरमंडल को बनाया आधार

इन छात्रों में कमल, मनीष, आयुष, लवकेश, मोहित, हरिओम, मोहम्मद वाजिद और छात्रा सोमलता शामिल हैं।  छात्र कमल ने बताया कि साइकिल की स्पीड बढ़ाने के लिए उन्होंने सौरमंडल को आधार बनाया गया है। जिस प्रकार सूर्य के चारों ओर ग्रह चक्कर लगाते हैं उसी प्रकार इस साइकिल में ईपीसाइक्लिक गेयर ट्रेन सिस्टम लगाया गया है।

उसने बताया कि एक पैडल लगाने भर से साइकिल की स्पीड सामान्य से बढ़कर 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक जा सकती है। साइकिल को हाई स्पीड ईपीसाइक्लिक बाइक साइकिल प्रोजेक्ट के तहत काम्पैक्ट रिलायबल डिजाइन में तैयार किया गया है। पैडल के पास लिनियर बेयङ्क्षरग का इस्तेमाल किया गया है जबकि गरारी (चकरी) के पास बॉल बेयरिंग को ही लगाया गया है।

खड़े होकर चलाई जाएगी साइकिल

मैकेनिकल विभाग के एचओडी डॉ. सुनील ढि़ंगड़ा के अनुसार छात्रों ने इस साइकिल को खास डिजाइन में तैयार किया है। जिस प्रकार आप जिम में ट्रेड मिल पर जॉगिग करते हैं उसी तरह इस साइकिल पर आपको पैडल लगाना है।

बस आठ हजार रुपये में तैयार हुई साइकिल

छात्रों ने बताया कि मात्र आठ हजार रुपये में साइकिल तैयार हो जाएगी। अगर इसे ई-बाइक का रूप दिया जाए तो भी इस पर मात्र 15 हजार रुपये ही खर्च होंगे। 

मोटर से भी चलने में सक्षम

छात्रों ने बताया कि अभी इसमें और अधिक शोध किया जा सकता है। यह एक तरह से एनर्जी का बढ़ाने का जरिया मात्र है। अगर इसी साइकिल पर बैटरी से चलने वाली छोटी सी मोटर भी लगा दी जाए तो वो भी इसे चलाने में सक्षम होगी।

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