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इसरो पहुंचा एनआइटी, रीजनल सेंटर खोलने के लिए हुआ एमओयू

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब कुरुक्षेत्र में स्पेस टेक्नोलॉजी सेटर खोलने जा रहा है। इसके लिए सोमवार को एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 07:28 PM (IST)
इसरो पहुंचा एनआइटी, रीजनल सेंटर खोलने के लिए हुआ एमओयू
इसरो पहुंचा एनआइटी, रीजनल सेंटर खोलने के लिए हुआ एमओयू

फोटो नं.- 14

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- उत्तर भारत में एनआइटी कुरुक्षेत्र के साथ हुआ एमओयू

- इसरो के क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक डॉ.पीवी वेंकटकृष्णन और एनआइटी निदेशक पद्मश्री डॉ.सतीश कुमार ने किए एमओयू पर हस्ताक्षर पंकज आत्रेय, कुरुक्षेत्र

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष विज्ञान में शोध को विस्तार देने और नई प्रतिभाओं को निखारने के लिए अब जमीनी स्तर पर आ गया है। इसके लिए देश भर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआइटी) में रीजनल एकेडमी सेंटर फॉर स्पेस (आरएसीएस) खोलने की कवायद शुरू की गई है। सोमवार को इसरो और एनआइटी कुरुक्षेत्र में एमओयू हुआ। उत्तर भारत में इसरो ने कुरुक्षेत्र और जालंधर एनआइटी का चयन अपने सेंटर खोलने के लिए किया है। इस एमओयू पर इसरो के क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय बेंगलुरू के निदेशक डॉ.पीवी वेंकटकृष्णन और एनआइटी निदेशक पद्मश्री डॉ.सतीश कुमार ने हस्ताक्षर किए। इस प्रोजेक्ट के साथ विभिन्न इंजीनियरिग संस्थानों के विद्यार्थी भी जोड़े जाएंगे।

डॉ.पीवी वेंकटकृष्णन ने बताया कि इसरो ऐसे ही भावी अंतरिक्ष वैज्ञानिक तैयार करने के लिए देशभर में छह अलग-अलग दिशाओं में स्थापित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआइटी) में अपने क्षेत्रीय अकादमिक सेंटर खोलने जा रहा है। एनआइटी कुरुक्षेत्र भी इसरो के इस महाप्रोजेक्ट में शुमार हो गया है और इससे जुड़ने वाला उत्तर भारत का यह एकमात्र संस्थान बनने जा रहा है। बॉक्स

यहां सेंटर खोलेगा इसरो

डॉ.पीवी वेंकटकृष्णन ने बताया कि स्पेस रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए देश के छह एनआइटी संस्थानों में इसरो अपने अकादमिक सेंटर खोलने जा रहा है। इनमें उत्तर-पूर्व में एनआइटी गोवाहाटी में आरएसीएस और त्रिपुरा में इन्क्यूबेंट सेंटर, पश्चिम में जयपुर में आरएसीएस और नागपुर में इन्क्यूबेंट सेंटर खोले जाएंगे। उत्तर भारत में एनआइटी कुरुक्षेत्र में आरएसीएस और एनआइटी जालंधर में इन्क्यूबेंट सेंटर खोले जाएंगे। इनके साथ तीन और संस्थानों से एमओयू होंगे, जिनमें दक्षिण-पूर्व में एनआइटी राउरकेला और एनआइटी पटना में आरएसीएम सेंटर खोले जाएंगे। केंद्र के लिए बीएचयूआइटी वाराणासी में आरएसीएस और एनआइटी भोपाल में इन्क्यूबेंट सेंटर खोला जाएगा। बॉक्स

छहों में होगी प्रतिस्पर्धा

डॉ.पीवी वेंकटकृष्णन का कहना है कि किसी एक प्रोग्राम (प्रोजेक्ट) पर इसरो एक ही दिशा में काम करता है, लेकिन वही प्रॉब्लम इन सभी सेंटरों को भी दी जाएगी। इससे फायदा यह होगा कि एक प्रोजेक्ट पर छह दिशाओं से समाधान आएंगे। इनमें से जिस किसी भी संस्थान की ओर से सबसे पहले जिसका प्रोजेक्ट सब्मिट होगा, उसे इसरो अपने प्रोग्राम में शामिल करेगा। यह सभी सेंटर अपने स्तर पर ही रिसर्च करेंगे, जिसमें इनके क्षेत्र के इंजीनियरिग कॉलेज भी शामिल किए जाएंगे। डॉ. वेंकटकृष्णन ने कहा कि इससे अंतरिक्ष शोध के क्षेत्र में हमें बहुत फायदा होगा। बॉक्स

यह है मकसद

एनआइटी कुरुक्षेत्र के निदेशक पद्मश्री डॉ.सतीश कुमार ने बताया कि इस सेंटर में इसरो के वैज्ञानिक विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में पढ़ाएंगे। इसमें रॉकेट साइंस, स्पेस मिशन जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहेंगे। सेंटर पर इसरो हर साल पांच करोड़ रुपये खर्च करेगी। विद्यार्थियों को डिजाइन, एडवांस फैब्रिकेशन, टेक्नालॉजी डेवलपेंट और डेमोंस्ट्रेशन सिखाया जाएगा। उनके मुताबिक इसके सुखद परिणामों के बाद एनआइटी में एयरोनॉटिकल एंड स्पेस इंजीनियरिग कोर्स भी शुरु किया जा सकता है। पीएचडी स्तर पर अंतरिक्ष विज्ञान में शोध करने वाले विद्यार्थियों को इसरो में प्लेसमेंट भी मिल सकता है। इस प्रोजेक्ट के पीछे इसरो का उद्देश्य इंजीनियरिग संस्थानों में शोध की संस्कृति को प्रोत्साहित करना है।


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