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मंच उद्घोषक होता है कार्यक्रम की आत्मा : डॉ.रामेंद्र

कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय मंच उद्घोषक कार्यशाला के दूसरे दिन प्रदेशभर से आए प्रतिभागियों ने हरियाणवी बोली में मंच संचालन के गुर सीखे। विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल के नेतृत्व में आयोजित कार्यशाला में विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेंद्र सिंह बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 09:12 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 06:39 AM (IST)
मंच उद्घोषक होता है कार्यक्रम की आत्मा : डॉ.रामेंद्र
मंच उद्घोषक होता है कार्यक्रम की आत्मा : डॉ.रामेंद्र

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय मंच उद्घोषक कार्यशाला के दूसरे दिन प्रदेशभर से आए प्रतिभागियों ने हरियाणवी बोली में मंच संचालन के गुर सीखे। विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल के नेतृत्व में आयोजित कार्यशाला में विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेंद्र सिंह बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. महासिंह पूनिया उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मैक के क्षेत्रीय निदेशक नागेंद्र शर्मा ने की।

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डॉ. रामेंद्र ने कहा कि मंच उद्घोषक कार्यक्रम की आत्मा होता है। शब्दों के चयन, अंदाज आदि के साथ मंच उद्घोषक कार्यक्रम के स्तर को निश्चित करता है। कार्यक्रम से पूर्व मंच उद्घोषक ही कार्यक्रम की गरिमा बनाकर रखता है। डॉ. महासिंह पूनिया हरियाणवी संस्कृति के बारे में बताते हुए मंच उद्घोषणा के नियमों पर प्रकाश डाला। बताया कि बोलण आले के बिकजा कड़वे बेर अर ना बोलण आले की मिठाई भी रहज्या। जो बातचीत कर सकता है वह मंच संचालन भी कर सकता है। डॉ. पुनिया ने बताया कि मंच उद्घोषक कार्यक्रम की धुरी होता है, जिसके इर्द-गिर्द पूरा कार्यक्रम चलता है। कार्यशाला के प्रथम सत्र में प्रशिक्षक रामनिवास ने बताया कि मंच संचालन के लिए सबसे पहले खड़े रहने का ढंग सही होना चाहिए। मंच संचालक यदि खूबसूरत ढंग से अपना कार्य करेगा तो कार्यक्रम की गरिमा बनेगी। हरियाणवी भाषा का एक अलग ही प्रभाव रहता है, जिसमें संचालक अपने मन के भावों हल्के अंदाज में भी प्रस्तुत करके दर्शकों पर एक गहरी छाप छोड़ सकता है। रामनिवास ने बताया कि शुरु में अनुभव कम होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ सकता है लेकिन निरंतर अभ्यास से प्रत्येक चीज सरल हो जाती है। उन्होंने मंच संचालन के लिए हरियाणवी बोली का परिचय देते हुए समझाया। सायंकालीन सत्र में एंकर सोनल दहिया ने अपने अनुभव सांझा किए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी बोली पर मान होना चाहिए तथा संचालन के दौरान उम्दा ढंग से अपनी बोली में बात कहते हुए उपस्थिति पर छाप छोड़नी चाहिए। कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग की प्रभारी रेनू हुड्डा, सांस्कृतिक अधिकारी थियेटर तान्या चौहान तथा शिवकुमार ने अतिथियों को शाल व पौधा भेंटकर आभार जताया। तान्या चौहान ने बताया कि बृहस्पतिवार को कार्यशाला में रेडियो कलाकार जैनेंद्र कुमार मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित रहेंगे। सांयकालीन सत्र के दौरान कार्यशाला का समापन किया जाएगा, जिसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल मुख्य अतिथि के रुप में पहुंचेगी।


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