Move to Jagran APP

वैदिक काल से चली आ रही नाड़ी परीक्षण से जांच : प्रो. देवेंद्र

श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के क्रिया शरीर विभाग की ओर से नाड़ी परीक्षण विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 10:12 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 10:12 PM (IST)
वैदिक काल से चली आ रही नाड़ी परीक्षण से जांच : प्रो. देवेंद्र
वैदिक काल से चली आ रही नाड़ी परीक्षण से जांच : प्रो. देवेंद्र

फोटो संख्या : 16

loksabha election banner

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के क्रिया शरीर विभाग की ओर से नाड़ी परीक्षण विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर देवेंद्र खुराना और विशिष्ट अतिथि कौमारभृत्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शंभू दयाल शर्मा रहे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता उज्जैन से वैद्य प्रज्ञान त्रिपाठी रहे और नर्मदा गंगे ट्रस्ट के डायरेक्टर ने नाड़ी परीक्षण की विधि व नाड़ी के द्वारा, शरीर में होने वाले रोगों को पहचानने के तरीकों को सांझा किया।

प्रोफेसर देवेंद्र खुराना ने बताया कि नाड़ी परीक्षा का ज्ञान आयुर्वेद में वैदिक काल से चला आ रहा है, जब उपकरणों के अभाव में वैद्य रोगों का ज्ञान नाड़ी परीक्षा द्वारा किया करते थे। विशिष्ट अतिथि डा. शंभू दयाल ने इसे आधुनिक परिप्रेक्ष्य में जोड़कर उपयोग में लाने पर जोर दिया। डा. शंभू दयाल ने कहा कि आयुर्वेद के ग्रंथों में सबसे पहला रोगी का परीक्षण करने का माध्यम नाड़ी परीक्षण ही बताया है। नाड़ी से वात, पित्त और कफ के बारे में पता लगता है। तीनों अंगुलियों को रोगी की नाड़ी पर रखकर वैद्य यह बता सकते हैं कि मरीज को इनमें से कौन सा दोष है और इसके बाद उस रोगी का उपचार शुरू होता था।

डा. शंभू ने बताया कि उनके एक गुरु हैं जो नाड़ी देखकर ही मरीज को शुगर, बीपी या दूसरी बीमारियों के बारे में ही बता देते थे, जिनके बारे में बाद में वही रोग मिलता था। श्री कृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के फेसबुक पेज से भी बड़ी तादाद में लोग जुड़े। डा. अमित कटारिया व डा. सचिन शर्मा ने कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम के अंत में क्रिया शरीर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा. पीसी मंगल ने सभी का आभार व्यक्त किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.