मिनी सूरजकुंड मेले की तरह सजेगा अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव, पर्यटकों के लिए होंगे खास व्यंजन
हरियाणा में इस साल से आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव बेहद खास होगा। इसका आयोजन सूरजकुंड मेले की तरह होगा। इसका स्वरूप मिनी सूरजकुंड मेले की तरह होगा।
कुरुक्षेत्र, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव मिनी सूरजकुंड मेले की तर्ज पर होगा। ऐतिहासिक बनावट के प्राचीन कुएं की झलक भी यहां देखने को मिलेगी। तीर्थ स्थल पर मेहमानों के लिए विशेष झोपड़ी बनाई गई है और पर्यटकों को खाने में हरियाणा के व्यंजन चूरमा और बाजरे की खिचड़ी दी जाएगी। अहम पहलू यह है कि सरस्वती महोत्सव में हरियाणा के गांव के दर्शन संभव हो सकेंगे।
नजर आएगी ऐतिहासिक बनावट के प्राचीन कुएं की झलक, मेहमानों के लिए बनाई विशेष झोपड़ी
डीसी धीरेंद्र खडग़टा ने बताया कि सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड और प्रशासन ने सरस मेले और प्रदर्शनी को नया लुक देने के लिए डिजाइनर डॉ. हनीफ को जिम्मा सौंपा है। गुफा में अंत सलिला सरस्वती नदी को दिखाने का प्रयास किया जाएगा। यह करीब 150 फुट की होगी। गुफा में एक तरफ से पर्यटक प्रवेश करेंगे और दूसरी तरफ से सरस्वती नदी व ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन करने के उपरांत बाहर निकलेंगे।
महोत्सव में हरियाणा के ग्रामीण परिवेश के दर्शन होंगे। जहां स्टॉलों पर हरियाणवी व्यंजन रखे जाएंगे। वहीं सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं चूल्हे पर रोटी और सब्जी बनाती नजर आएंगी। इनका नेतृत्व फतेहाबाद की महिलाएं करेंगी। ऐतिहासिक स्थल बनावली में अभी हाल में ही मिले प्राचीन कुएं की तर्ज पर एक कुआं भी तैयार किया गया है। जो हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को इंगित करेगा। पिहोवा स्ट्रीट में पांच से 10 दुकानें सजाई जाएंगी।
नगर कमेटी के सहयोग से लगाए जाएंगे 40 स्वागत द्वार
डीसी धीरेंद्र खडग़टा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव में पहली बार नगर कमेटी का गठन किया गया है। इसमें शहर के गणमान्य और संस्थाओं के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। 40 भव्य स्वागत द्वारा लगाए जाएंगे। सरस्वती तीर्थ तक आने वाले मुख्य मार्गों पर भव्य झालर भी लगाए जाएंगे।
एनआइटी में होगा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार
डीसी ने बताया कि हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड व एनआइटी के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। इसमें वैज्ञानिक, सिंचाई विभाग से संबंधित अधिकारियों सहित लगभग 400 लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। इसके साथ विभिन्न देशों के सरस्वती विशेषज्ञों को निमंत्रण भेजा गया है। इसका फोकस पानी के संरक्षण और सदुपयोग पर रहेगा। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम और आरती होगी।
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