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उत्थान उत्सव में मलबे के मालिक ने दिखाया बंटवारे का दर्द

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप की ओर से नौवें वार्षिक उत्सव के पहले ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 06:39 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 06:39 PM (IST)
उत्थान उत्सव में मलबे के मालिक ने दिखाया बंटवारे का दर्द
उत्थान उत्सव में मलबे के मालिक ने दिखाया बंटवारे का दर्द

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप की ओर से नौवें वार्षिक उत्सव के पहले दिन मोहन राकेश और फनीश्वर नाथ रेणू की कहानियों पर आधारित नाटक मोहन और रेणू का मंचन किया गया। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के सहयोग से आयोजित उत्थान उत्सव की पहली शाम में हरियाणा कला परिषद् मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के क्षेत्रीय निदेशक संजय भसीन बतौर मुख्यातिथि पहुंचे, कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेंद्र ने की। मंच संचालन यूटीजी नाटक निदेशक विकास शर्मा की ओर से किया गया। कार्यक्रम से पूर्व न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के वरिष्ठ कलाकार नरेश सागवाल व अनू रानी ने अतिथियों को पुष्पहार भेंटकर स्वागत किया। एक घंटे की अवधि वाले नाटक मोहन और रेणू में पहली कहानी मलबे का मालिक का मंचन किया गया। मोहन राकेश की ओर से लिखित कहानी में कलाकारों ने दिखाया कि ¨हदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने वाले लोग दोबारा ¨हदुस्तान आए। पाकिस्तान रहने वाले गनी मियां जब अपना मकान देखने अमृतसर पहुंचते हैं तो वहां अपने मकान को जला हुआ पाकर दुखी हो जाते हैं। गनी मियां को पता चलता है कि उनके बच्चों को किसी ने धोखे से मार दिया था, तब भी गनी मियां उनके बच्चों को मारने वालों को लंबी उम्र जीने की आशीष देते हैं। वहीं दूसरी हास्य कहानी पंचलाइट में बिहार के गांव की दशा को दिखाया गया। जिसमें गांव के भोल-भाले लोग पंचलाइट खरीद लेते हैं, लेकिन गांव में किसी को भी पंचलाइट जलानी नहीं आती। इस प्रकार हास्य से भरपूर कहानी ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। गंभीर मुद्दे पर आधारित कहानी मलबे का मालिक के बाद कलाकारों ने केवल पांच मिनट के अंतराल के बाद ही बिहार के कहानी को मंचित किया तो दर्शक उन्ही कलाकारों को अलग ढंग से देखकर हैरान होते नजर आए। नाटक के अंत में संजय भसीन ने दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृति को सहेज कर रखना तथा उसका संवर्धन करना एक कलाकार की पहचान होती है।

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डॉ. रामेंद्र ने कलाकारों को बधाई देते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की संस्कृति का बोध होना चाहिए, ताकि संस्कृति को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके और भारत को फिर से विश्व पटल पर चमकाया जा सके। नाटक में भूमिका निभाने वाले प्रमुख कलाकारों में शिवकुमार किरमिच, साजन कालड़ा, पारुल कौशिक, दीपक जांगड़ा, महक मनू रानी, रुबी, आश्रय शर्मा, समीर मैहरा, साहिल खान, शायना जग्गा, निकेता शर्मा, नितिन गम्भीर, अनूप कुमार, आकाशदीप, चंचल शर्मा, यश, हिमंाशु, सिद्धार्थ, नितिन कुमार, शिवानी पाराशर आदि ने भूमिका निभाई।


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