गैरत को लगी ठेस तो ये बात मैं समझा..
गैरत को लगी ठेस तो ये बात मैं समझा कमजोर से उस शख्स में ताकत भी बहुत थी..। इन लाइनों के साथ अमरजीत सिंह अंबालवी ने जैसे ही अपनी प्रस्तुति शुरू की तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गैरत को लगी ठेस तो ये बात मैं समझा, कमजोर से उस शख्स में ताकत भी बहुत थी..। इन लाइनों के साथ अमरजीत सिंह अंबालवी ने जैसे ही अपनी प्रस्तुति शुरू की तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने देख सकते थे मुझे लेकिन न मिल सकते थे तुम, घर में खाली खिड़कियां थी कोई दरवाना न था.. की प्रस्तुति दी तो इसने भी महफिल भी जान डाल दी। वह रविवार को अदबी संगम कुरुक्षेत्र की ओर से सदाचार स्थल में बने पर्यटन एवं सूचना केंद्र में आयोजित काव्य गोष्ठी में अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे। काव्य गोष्ठी की मेजबानी मेहर चंद धीमान ने की और अध्यक्षता डॉ. दिनेश दधीचि ने की। गोष्ठी में जगाधरी से आए अशोक अग्रवाल ने चांद को तब न लें तारे टटोल कर देखें, आओ ये खिड़कियां बादल की खोल कर देखें.. सुनाई। यमुनानगर से आए चरणजीत चंदवाल चंदन ने किसी भी उम्र में बर्बाद हो सकता है दिल चंदन, कि जब तक जिदगी है इश्क का खतरा ही रहता है.. सुनाई। गोष्ठी का संचालनविधिवत रूप से डॉ. बलवान सिंह ने किया। इसकी रूपरेखा अदबी संगम के सचिव सूबे सिंह सुजान ने की। गोष्ठी में पहुंचे कवियों का स्वागत करते हुए अदबी संगम की जिला प्रधान डॉ. शकुंतला शर्मा ने सहयोग के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का आभार प्रकट किया। इस मौके पर गोष्ठी में उर्दू शायर डॉ. केवल कृष्ण ऋषि, विनोद कुमार धवन, डॉ. पुरुषोत्तम अपराधी , करनैल खेड़ी, रत्न चंद सरदाना, मोती राम तुर्क, ओम प्रकाश राही, कंचन कपूर, डॉ. संजीव अंजुम, डॉ. जीवन बक्शी, कपिल भारद्वाज, सुमन प्रजापत, गंगा मलिक, प्रकाश कश्यप, अश्वनी भारद्वाज, किरण पाल, मेहर चंद विमान, दीदार कीर्ति, डॉ. ललित कुमार गौड़, दीपक कुरुक्षेत्री, कविता रोहिल्ला, राधा अग्रवाल एवं उर्मिला मौजूद रही।