हस्त नक्षत्र और वृद्धि योग में मनेगी होली, अद्भुत योग में पापग्रह और बुरी नजर से मिलेगी मुक्ति
इस बार होली हस्त नक्षत्र और वृद्धि योग में होगी। यह अद्भुत योग पापग्रह और बुरी नजरों से मुक्ति दिलाएगा। इससे पहले होला अष्टक 21 मार्च को शुरू होंगे।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : इस बार होली हस्त नक्षत्र और वृद्धि योग में होगी। यह अद्भुत योग पापग्रह और बुरी नजरों से मुक्ति दिलाएगा। इससे पहले होला अष्टक 21 मार्च को शुरू होंगे। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र कुरुक्षेत्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि हिदू पंचांग के मुताबिक हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार आता है। रंग खेलने वाले दिन को धूलेंडी या फाग होता है, जो इस बार 29 मार्च को है। उससे एक दिन पहले होलिका दहन होती है। होली के दिन किसी की बुराई सोचकर किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता। इसलिए होली पर किसी की बुराई के लिए कोई कृत्य नहीं करना चाहिए। स्वयं के कल्याण के लिए ही होली के शुभ मुहूर्त का उपयोग करें। होलिका दहन कैसे करें
होलिका दहन में जल से अर्घ्य दें। शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराएं। आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें। माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है। वहीं ये भी माना जाता है कि होलिका दहन के बाद उसी राख का टीका लगाने से बहुत सी व्याधियां दूर हो जाती हैं और हर प्रकार की नजर से रक्षा रहती है। दहन के दिन क्या न करें
- कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।
- सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- सिर ढककर पूजा करनी चाहिए।
- नवविवाहित महिलाओं को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
- सास-बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
- जलती होली के नजदीक छोटे बच्चों को न ले जाएं। होलाष्टक होतें हैं अशुभ
ज्योतिष शास्त्र में होलाष्टक को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए होली से आठ दिन पहले शुभ कार्यों को करना वर्जित होता है। इन आठ दिनों में शादी, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। 21 से 28 मार्च तक होलाष्टक है। होली के मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 28 मार्च को दोपहर बाद 03:25 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 29 मार्च को 00:15 बजे होलिका दहन मुहूर्त -28 मार्च रविवार, 18:35 से 20:56 तक
भद्रा पुंछा -10:26 से 11:29-34 तक
भद्रा मुखा -11:30 से 13:14