इंजीनियरिग की नौकरी छोड़ एचसीएस महक स्वामी अब आइएएस बनीं
इंजीनियर से हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर एचसीएस बनी धर्मनगरी की महक अब यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 393 रैंक हासिल कर आइएएस बन गई हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : इंजीनियर से हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर एचसीएस बनी धर्मनगरी की महक स्वामी अब यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 393 रैंक हासिल कर आइएएस बन गई हैं। इस परीक्षा में 393वां रैंक हासिल कर महक ने देशभर में अपनी खुशबू बिखेर दी है। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए महक ने पारिवारिक समारोहों तक से दूरी बनाए रखी। बेटी को लक्ष्य हासिल करने में किसी तरह की समस्या ना हो इसको लेकर माता-पिता ने भी ज्यादातर समारोहों से किनारा किया। अब बेटी की मेहनत रंग लाई तो घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। इस लक्ष्य के लिए महक ने 14 लाख के पैकेज की नौकरी छोड़ कर तैयारी शुरू की थी। सपना सच होने पर महक की भी खुशी का ठिकाना नहीं। इस कामयाबी का श्रेय महक ने अपने माता-पिता को दिया है। महक स्वामी अब यमुनानगर में एचसीएस ट्रेनी हैं। जगाधरी एसडीएम दर्शन सिंह ने बताया कि महक स्वामी ने कोरोना के दौर में शानदार काम किया है। उन्होंने प्रवासी मजदूरों को सूचीबद्ध किया और फिर उनको वापस भेजने में अहम योगदान दिया। महक स्वामी बहुत एक्टिव हैं। वह यूपीएससी का परिणाम घोषित होने के बाद मंगलवार को शाम को कुरुक्षेत्र अपने घर पहुंची। महक और उसके परिवार को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। हर कक्षा में रहीं अव्वल
अपनी पढ़ाई के दौरान महक हर कक्षा में अव्वल रही है। यूपीएससी की ओर से मंगलवार को सुबह जैसे ही परीक्षा परिणाम घोषित हुआ, तो उसके पिता दया सिंह स्वामी के फोन की घंटी घनघनाने लगी। महक के पिता दया सिंह स्वामी धूलगढ़ गुलडेहरा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रिसिपल हैं। उनकी माता स्नेहलता शहर के सेठ टेकचंद मैमोरियल स्कूल में शिक्षिका हैं।
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गीता निकेतन आवासीय विद्यालय से हुई पढ़ाई
महक की शुरुआती पढ़ाई गीता निकेतन आवासीय विद्यालय से हुई है। इसी पढ़ाई को महक अपना बेस भी मानती है। महक ने 12 सेठ टेकचंद मेमोरियल स्कूल से पास की। इसके बाद महक ने राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्राप्त कुरुक्षेत्र के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (निट) से बीटेक किया और गुरुग्राम की एक कंपनी में 14 लाख रुपये के पैकेज पर तीन साल नौकरी की। महक ने सेल्फ स्टडी को अपनाकर ही इस उपलब्धि को हासिल किया है।
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एचसीएस बनने पर मिला था सोने का कड़ा
महक की इस उपलब्धि से परिजनों में खुशी की लहर है। उसके एचसीएस बनने पर मां स्नेहलता ने सोने का कड़ा गिफ्ट में दिया था। अब आइएएस बनने पर इससे भी बड़ा कड़ा गिफ्ट देने की बात कही है।