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दान नहीं बल्कि सम्मान से कर रहे समाज को शिक्षित

सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र कहते हैं समाज में बच्चों को शिक्षित करने से बड़ा कोई परोपकारी

By Edited By: Published: Wed, 25 Jan 2017 01:27 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2017 01:27 AM (IST)
दान नहीं बल्कि सम्मान से कर रहे समाज को शिक्षित

सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र

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कहते हैं समाज में बच्चों को शिक्षित करने से बड़ा कोई परोपकारी कार्य नहीं हो सकता। महाराजा अग्रसेन शिक्षा सम्मान योजना (मेस्सी ) ने यह बीड़ा उठाया है। संस्था की ओर से समाज के बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लिया है। संस्था ने समाज के 174 बच्चों को गोद लिया है। ये बच्चे जब से इस संस्था के साथ जुड़ते हैं तब से लेकर और उच्च शिक्षा तक जहां तक वे शिक्षा प्राप्त करना चाहें पूरा खर्च संस्था की ओर से वहन किया जाता है। इसके लिए संस्था जितने बच्चे होते हैं उतने ही दानकर्ता भी रखते हैं। हर व्यक्ति की स्वयं की जिम्मेदारी है कि वह बच्चे का पूर्ण खर्च वहन करे। वहीं संस्था इसे किसी दान के रूप में प्रचार नहीं करती बल्कि इसको शिक्षा सम्मान का नाम दिया गया है।

संस्था के सदस्य राजेश ¨सगला ने बताया कि उनकी कमेटी के मन में यह विचार 2011 में आया था। जिसमें समाज में गरीब विद्यार्थियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया गया था। संस्था के पास सीमित संसाधनों के कारण यही फैसला लिया गया था कि इसमें समाज से ही जुड़े और कुरुक्षेत्र जिले के विद्यार्थियों को आर्थिक सहयोग दिया जाए। जिस पर संस्था पूरी तरह से कामयाब रही। पहले वर्ष में उनके पास 65 विद्यार्थी आए और इतने ही दानदाता भी उनकी संस्था के साथ जुड़ गए। उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से छात्र की पूरी शिक्षा का जिम्मा लिया जाता है। जिसके तहत उसके स्कूल को फीस दी जाती है और चैक के माध्यम से ही किताबों अन्य खर्च प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि समाज से जुड़े कई नेता और अग्रणी लोग इससे जुड़े हैं। कुरुक्षेत्र के पूर्व सांसद नवीन ¨जदल स्वयं 20 विद्यार्थियों की शिक्षा का जिम्मा लिए हैं।

उच्च शिक्षा के लिए भी दिलाई को¨चग

उन्होंने बताया कि कई विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं जिसके लिए प्रतियोगिता ज्यादा है और को¨चग की आवश्कता होती है। संस्था की ओर से ऐसे विद्यार्थियों के लिए को¨चग का प्रबंध भी किया जाता है। पिछले वर्ष ऐसे दो विद्यार्थियों को महंगी को¨चग भी दिलाई गई थी। उन बच्चों ने उसके कारण आइआइटी में दाखिला भी पाया। नितेश अग्रवाल और उदित ¨सगला आइआइटी में इंजीनिय¨रग की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

दान नहीं सम्मान के रूप में सहायता

संस्था के सदस्यों ने बताया कि वर्ष में दो बार संस्था की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिसमें एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। यह बच्चों को शुभकामनाएं देता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि संस्था का कभी यह मकसद नहीं होता कि विद्यार्थियों को नीचा दिखाया जाए। उन्हें इसलिए इसका नाम सम्मान योजना रखा है।

संस्था का नहीं है कोई प्रधान

संस्था के सदस्य राजेश ¨सगला ने बताया कि पहली ऐसी संस्था है जो केवल कार्य करती है। इसमें न तो कोई प्रधान है और न ही कोई उप्रपधान। किसी भी प्रकार के पदों से संस्था को दूर रखा गया है। संस्था में केवल 21 सदस्य हैं। जिनमें से कार्य करने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। जवाहर लाल गोयल संस्था की कमेटी के संयोजक हैं और पूरा काम कमेटी ही देखती है। कमेटी में जवाहर लाल गोयल, जंगबहादुर ¨सगला, राजेश ¨सगला, विनय गुप्ता, बलबीर गुप्ता, मनीष मित्तल, कपिल मित्तल, संजीव गर्ग, प्रमोद बंसल और अशोक गर्ग को शामिल किया गया है।


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