हरबीर ने जर्मनेटर चैंबर से खेती की शुरू, आज इटली तक निर्यात
कुरुक्षेत्र के प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह ने खुद की तकनीक से कम लागत पर एक जर्मनेटर चैंबर तैयार किया है। इसमें सब्जियों के बीज महज दो-तीन दिन में ही अंकुरित हो जाते हैं। हालांकि ठंड में 20 से 30 दिन का समय लग जाता है। जर्मनेटर चैंबर से सीजन में करीब 13 लाख पौधे तैयार कर दिए हैं।
जगमहेंद्र सरोहा, कुरुक्षेत्र
हरियाणा व पंजाब के किसान तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इसके विपरीत धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के प्रगतिशील किसान हरबीर सिंह ने खुद की तकनीक से कम लागत पर एक जर्मनेटर चैंबर तैयार किया है। इसमें सब्जियों के बीज महज दो-तीन दिन में ही अंकुरित हो जाते हैं। हालांकि ठंड में 20 से 30 दिन का समय लग जाता है। जर्मनेटर चैंबर से सीजन में करीब 13 लाख पौधे तैयार कर दिए हैं। इन पौधों को हरियाणा ही नहीं आसपास के सात राज्यों और इटली तक निर्यात किया गया है।
जिले के खंड शाहाबाद के गांव डाडलू के किसान हरबीर सिंह ने बताया कि उसने 2004 में दो कनाल से सब्जी की नर्सरी शुरू की थी। उस समय खेती को घाटे का सौदा समझा जाता था। अब वह 16 एकड़ में विभिन्न सब्जियों की नर्सरी चला रहा है। उसने हाल में एक नई तकनीक जर्मनेटर चैंबर तैयार की है। यह है नई तकनीक
इसमें विशेष तरह की प्लास्टिक शीट का प्रयोग किया जाता है। शीट का काला हिस्सा सूर्य की रोशनी की तरफ किया और फिर चार इंच का अंतर देकर अंदर की तरफ सिल्वर रंग की शीट लगाई। सूर्य की किरणों से पैदा गर्मी चादर ने ग्रहण की और अंदर की तरफ लगी सिल्वर शीट चैंबर में एक विशेष तापमान तैयार किया। इससे करीब 40 डिग्री से ज्यादा तापमान तैयार हुआ। इस तापमान में प्रो-ट्रे में बेलों वाली और अन्य सब्जियों के बीज रखे। बीजों से दो से तीन दिन में पौधे तैयार किए गए। पौधे अंकुरित होने के बाद ग्रीन चैंबर में शिफ्ट किया गया। इस तरह 13 लाख पौधे तैयार किए गए। इटली तक डिमांड
इन पौधों को हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल व बिहार के साथ-साथ इटली जैसे देशों में किसानों को निर्यात किया गया है। चैंबर में बेल वाली सब्जियों के साथ-साथ ब्रोकली, आइसबर्ग, लैटस, चाइनीज कैबेज, कलर कोलिफ्लावर, लीक, चैरी टमाटर व कलर कैप्सीकम सब्जियों की पौध तैयार की गई है। सिंचाई में भी बचाया पानी
हरबीर सिंह ने बताया कि जर्मनेटर चैंबर से पौध तैयार करने के बाद पौधे का पालन-पोषण करने के लिए ग्रीन हाउस में रखा जाता है। इस पद्धति के लिए फव्वारा सिचाई प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है। इससे पानी की बचत की जा रही है। 16 एकड़ में फव्वारा सिचाई प्रणाली से खेती की जा रही है। इससे पानी की भी बहुत ज्यादा बचत संभव है। इस पद्धति का प्रयोग करने से शाहाबाद ब्लाक को डार्क जोन से बाहर निकाला जा सकता है। हरबीर सिंह अपनी पौध के लिए खुद ही जैविक खाद तैयार करते हैं। इस तकनीकी से पौध में कोई भी कीड़ा या बीमारी नहीं लगती।