हड़प्पाकालीन इतिहास पहुंचेगा घर-घर, पुरातत्व विभाग पलवल के कांची खेड़ा और जींद के लच्चर खेड़ा में करेगा खोदाई
प्रदेश की धरा से निकले पांच हजार से भी अधिक पुराने इतिहास को घर-घर तक पहुंचाने का एक अनोखा तरीका निकाला गया है। इसके लिए पुरातत्व विभाग ने एक नई पहल की है।
संवाद सहयोगी, पिहोवा (कुरुक्षेत्र) : प्रदेश की धरा से निकले पांच हजार से भी अधिक पुराने इतिहास को घर-घर तक पहुंचाने का एक अनोखा तरीका निकाला गया है। इसके लिए पुरातत्व विभाग ने एक नई पहल की है। इस पहल के तहत पुरातत्व विभाग ने उत्खनन के दौरान मिले इतिहास और वस्तुओं को लेकर सोविनियर, किरिग, माउस पैड, कोस्टर और चाय के मग तैयार किए हैं। इन पर साइट और उत्खनन से मिली प्राचीन वस्तुओं का ब्योरा भी अंकित किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव में पहली बार इनको शामिल किया गया है। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की गैलरी के साथ ही हरियाणा पुरातत्व विभाग ने इनको दर्शाने का अनोखा प्रयास किया है।
पुरातत्व विभाग से सुपरवाइजर सुरिचिका चावला, तकनीकी सहायक शुभम मलिक, सहायक मॉडलर प्रवीण कुमार और पिहोवा साइट इंचार्ज प्रीति गुलिया ने बताया कि सरकार प्रदेश के इतिहास को जन-जन तक खासकर युवा पीढ़ी तक पहुंचाने में लगी है। सरस्वती महोत्सव में पहली बार भिवानी के पुरगांव में मिले सोने के सींगों वाले छोटे से नंदी को लेकर एक सोविनियर (नंदी से प्रिटेड चाय के मग) को पहली बार रखा गया है। मग पर इसके इतिहास को फोटो सहित दर्शाया है। सोने के सींगों वाला नंदी विश्व में केवल हरियाणा के पुरातत्व विभाग के पास ही है। फतेहबाद के बनावली से हड़प्पाकालीन मदर गोड्स टेराकोटा के इतिहास को भी किरिग, माउस पैड और अन्य वस्तुओं पर अंकित किया गया है।
पलवल और जींद की खोदाई
इसके अलावा गांव बालू, जोगना खेड़ा, बनावली, राखीगढ़ी, फरमाना, कुणाल, भिरडाना जैसी जगहों का बारिकी से प्रदर्शनी में फोटो सहित उल्लेख किया गया है। पुरातत्व विभाग जमीन के नीचे छिपे इतिहास को जानने का प्रयास कर रहा है। विभाग पलवल के गावं कांची खेड़ा और जींद के गांव लच्चर खेड़ा में भी खोदाई का काम शुरू करेगा। ये दोनों जगहें करीब दो हजार वर्ष पुरानी है। यहां खोदाई करने से हरियाणा के नए इतिहास को भी जाना जाएगा।