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मातृभूमि सेवा मिशन संस्थान में गीता संवाद का समापन

श्रीमद्भगवतगीता में जीवन का सार है। जिसे पढ़कर कलयुग में मनुष्य जाति को जीवन जीने का मार्ग प्राप्त होता हैं। श्रीमद्भगवतगीता का जन्म मनुष्य को धर्म का सही अर्थ समझाने की दृष्टि से किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 05:03 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 05:03 PM (IST)
मातृभूमि सेवा मिशन संस्थान में गीता संवाद का समापन
मातृभूमि सेवा मिशन संस्थान में गीता संवाद का समापन

-भारतीय परिवार परंपरा के पारस्परिक संबंधों में गीता की प्रासंगिकता विषय पर कार्यक्रम आयोजित जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीमद्भगवतगीता में जीवन का सार है। जिसे पढ़कर कलयुग में मनुष्य जाति को जीवन जीने का मार्ग प्राप्त होता हैं। श्रीमद्भगवतगीता का जन्म मनुष्य को धर्म का सही अर्थ समझाने की दृष्टि से किया गया। यह विचार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2021 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन संस्थान में 18 दिवसीय कार्यक्रम के तृतीय दिवस पर गीता संवाद-भारतीय परिवार परंपरा के पारस्परिक संबंधों में गीता की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित कार्यक्रम में संस्थापक डा. प्रकाश मिश्र ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता वैदिक विद्वान आचार्य विमल तिवारी ने किया।

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डा. प्रकाश मिश्र ने कहा कि वर्तमान को जिओ और वर्तमान का आनंद लो, यही गीता का संदेश है। गीता जीवन संबंधी शास्त्र है। जीवन को चिताओं और तनावों से मुक्त करके उसे आनंद से परिपूर्ण कर देना गीता का मुख्य चमत्कार है। जीवन का दूसरा नाम है, क्रियाशीलता। सारा जीवन विविध प्रकार के कर्म करते हुए बीतता है। इन्हीं सामान्य कर्मों के जीवन में सुख भरने के साथ-साथ ईश्वर से मिला देने का आश्चर्यजनक कार्य गीता ने कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज विरासत में हमें ऐसी अनेकों पूंजी दे कर गए हैं, जो हमारे जीवन को शांतिमय और सुखमय बना सकती हैं। उन्हीं में से एक गीता हैं। गीता का सार हमें अगर एक पंक्ति में समझना हैं तो बस इतना हैं, जीवन में एक मित्र कर्ण जैसा और एक मित्र कृष्ण जैसा बना लेना सफलता की यही कुंजी है। यही बात गीता हमें समझाने का प्रयास करती हैं।

ये रहे मौजूद

इस मौके पर मनोरमा देवी उपाध्याय, महावीर प्रसाद शर्मा, गिरिराज किशोर, भवतोष उपाध्याय, प्रवीण उपाध्याय, धनेश उपाध्याय, विनीत उपाध्याय, आयुष उपाध्याय, हरिओम ओझा व कमलेश शर्मा मौजूद रहे।


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