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बांसुरी अंदर से खोखली, इसलिए बजती है कन्हैया की धुन : ज्ञानानंद

जैसे बांसुरी अंदर से खोखली होकर कन्हैया की ध्वनि बजाती है इसी प्रकार अपने आपको खाली करके ही भगवत प्राप्ति हो सकती है। यह प्रवचन गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने दिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 09:38 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 09:38 AM (IST)
बांसुरी अंदर से खोखली, इसलिए बजती है कन्हैया की धुन : ज्ञानानंद
बांसुरी अंदर से खोखली, इसलिए बजती है कन्हैया की धुन : ज्ञानानंद

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जैसे बांसुरी अंदर से खोखली होकर कन्हैया की ध्वनि बजाती है, इसी प्रकार अपने आपको खाली करके ही भगवत प्राप्ति हो सकती है। यह प्रवचन गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने दिए। वह गीता ज्ञान संस्थानम् में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर जिओ परिवार की ओर से आयोजित सत्संग में बोल रहे थे।

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उन्होंने कहा कि अहंकार और प्यार एक-दूसरे के शत्रु हैं, दोनों कभी इकट्ठे नहीं रह सकते। वृंदावन में बांसुरी की तान और कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दोनों में सामंजस्य है। यह सब भगवान की ही लीला है। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। गीता में मानव की हर समस्या का समाधान है।

उन्होंने कहा कि आज चिकित्सा, मनोविज्ञान, न्याय सहित सभी क्षेत्रों में गीता के लिए सब कुछ है, देश और विदेश के चिकित्सक यह मान चुके हैं कि गीता से तनाव दूर होता है और मनुष्य स्वस्थ रहता है। भगवद गीता जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपने मुख से गाया, आज पूरे विश्व में पूजनीय है। विदेशों में गीता पर शोध किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गीता अशांति में शांति पैदा करती है, देश के अनेक स्वतंत्रता सेनानी गीता से प्रेरणा लेते थे और इसे अपने साथ रखते थे। आज आवश्यकता इस बात की है कि युवा पीढ़ी को गीता के सूत्रों पर चलने की प्रेरणा दी जाए, तभी भारत फिर विश्व गुरु बनेगा।


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