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किसानों को बदलना होगा खेती के तरीके को : प्रो. चौहान

करनाल के कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि अर्थशास्त्री प्रो. आरएस चौहान ने कहा कि घटती जोत और प्रति एकड़ कम हो रही आय के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो चली है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 06:32 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 01:50 AM (IST)
किसानों को बदलना होगा खेती के तरीके को : प्रो. चौहान
किसानों को बदलना होगा खेती के तरीके को : प्रो. चौहान

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : करनाल के कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि अर्थशास्त्री प्रो. आरएस चौहान ने कहा कि घटती जोत और प्रति एकड़ कम हो रही आय के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो चली है। हरित क्रांति के बाद उत्पादन तो बढ़ा, लेकिन साथ ही खेती पर खर्च भी बढ़ता चला गया। ऐसे में अब उत्पादन के साथ ही खर्च भी अधिक हो गया है। उसके कारण किसान की आय काफी कम हो गई है। प्रो. चौहान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के टैगोर भवन में छात्रों द्वारा आयोजित किसान की आर्थिक दशा पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता किसान नेता गुरनाम चढुनी ने की और विधि संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित कांबोज विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज कुमार ने किया।

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किसान यूनियन के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम चढुनी ने किसानों की समस्याओं के लिए सरकारों की नीतियों को दोषी बताया। उन्होंने कहा कि लगातार औद्योगिक क्षेत्र पर सरकार की मेहरबानी ने किसानों की दशा का बिगाड़ा है। पूंजीपति अर्थव्यवस्था के कारण किसान लगातार पिछड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार मात्र छह प्रतिशत अनाज को ही एमएसपी पर खरीदती है जो लागत से कम है। जिससे किसान की आर्थिक हालात खराब हुई है। उससे मजबूर होकर देश में प्रतिदिन 35 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।उन्होंने युवा शोधार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने किसान के बेटे हैं। अगर उन्हें किसान को आत्महत्या से बचाना है तो आगे आकर इस व्यवस्था का बदलना होगा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ. कांबोज ने कहा कि किसानों की स्थिति पर सरकार और सामाजिक स्तर पर सोचने की आवश्यकता है। डॉ. मनोज कुमार ने सभी मेहमानों का स्वागत किया। इस मौके पर किसान यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष कर्म ¨सह मथाना, देवेंद्र ¨सह, बृजमोहन व किसान मंथन मंच के सदस्य उपस्थित रहे।


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