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बरसात की मार ने तोड़ी किसानों की कमर, पैदावार पर भारी असर

जिले में दो दिन से रुक-रुककर बरसात हो रही है। इससे किसानों की कमर टूट गई है। पहले जीरी के निसरने के समय में हुई बरसात से पैदावार पर असर दिख रहा है, जबकि अब लगातार हो रही है बरसात से किसानों का परमल धान जमीन पर तो गिर ही गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 02:04 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 02:04 AM (IST)
बरसात की मार ने तोड़ी किसानों की कमर, पैदावार पर भारी असर
बरसात की मार ने तोड़ी किसानों की कमर, पैदावार पर भारी असर

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिले में दो दिन से रुक-रुककर बरसात हो रही है। इससे किसानों की कमर टूट गई है। पहले जीरी के निसरने के समय में हुई बरसात से पैदावार पर असर दिख रहा है, जबकि अब लगातार हो रही है बरसात से किसानों का परमल धान जमीन पर तो गिर ही गया है। उसमें अंकुर फूटने लगा है। अगर वह अगले कुछ दिनों में फसल नहीं काटी गई किसानों को भारी नुकसान होना तय है। दूसरी ओर मौसम विभाग लगातार चक्रवाती तूफान डेई की चेतावनी जारी कर रहा है। उससे 25 तक लगातार बरसात होगी। ऐसे में किसानों के होश उड़े हुए हैं।

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इस बार प्रदेश में इंद्र देवता काफी मेहरबान रहे हैं। दो माह से क्षेत्र में लगातार बरसात हो रही है। जो किसानों के लिए पहले भले ही फायदेमंद रही हो, लेकिन दो दिन से हो रही बरसात ने किसानों पर दोहरी मार मारी है। पहले बरसात उन दिनों में होती रही जब क्षेत्र में धान की फसल निसर रही थी। ऐसे में दाने से फूल को बरसात ने झाड़ दिया। उससे पैदावार पर असर हुआ है। अब रही सही कसर पिछले दो दिनों से हो रही बरसात ने पूरी कर दी।

बंद है कटाई का कार्य

बरसात के कारण क्षेत्र में धान की फसल की कटाई का कार्य बंद पड़ा है। मंडियों में पहले आई जीरी ही पानी में भीग रही है। मंडियों में फैली अव्यवस्था और संसाधनों की कमी के कारण मंडी में आई जीरी भी नालियों तक में बह गई। कटाई का कार्य कर रही कंबाइनें भी दो दिन से खड़ी हैं। कंबाइन मालिक सुरेश कुमार, गोपाल ¨सह ने कहा कि इससे कंबाइन पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का खर्च भी बढ़ रहा है। फोटो संख्या- 24

सरकार को देना चाहिए किसानों को अनुदान : कमौदा

किसान महाबीर ¨सह कमौदा का कहना है कि किसानों को इस वर्ष प्रति एकड़ 20 हजार का नुकसान होना तय है। ऐसे में सरकार भरपाई योजना की तरह अलग से किसानों के नुकसान की भरपाई करे। किसानों की कमर इस बार टूट गई है। बाक्स

फोटो संख्या- 23

हो सकता है आठ लाख ¨क्वटल कम पैदावार

कृषि विशेषज्ञ डॉ. बलदेव ¨सह की माने तो क्षेत्र में इस वर्ष लगभग एक लाख 18 हजार हेक्टेयर भूमि में जीरी लगाई गई है। उनमें से 78 हजार हेक्टेयर में पीआर जीरी है और लगभग 40 हजार हेक्टेयर में बासमती जीरी लगाई है। इस वर्ष गलत समय पर हो रही बरसात से प्रति हेक्टेयर लगभग 10 ¨क्वटल का असर पैदावार पर दिख रहा है। यानी पीआर जीरी में प्रति हेक्टेयर दस ¨क्वटल की कमी से जिले में लगभग आठ लाख ¨क्वटल जीरी का पैदावार कम होगा। उससे किसानों को प्रति एकड़ लगभग 15 हजार रुपये का नुकसान होना निश्चित है।

सबसे ज्यादा असर बाबैन क्षेत्र में

संवाद सहयोगी बाबैन के अनुसार क्षेत्र में 40 एमएम बरसात हुई है। जो सबसे ज्यादा है। बाबैन क्षेत्र में आलु की खेती होती है इसलिए ज्यादातर मोटी जीरी ही लगाई जाती है। ऐसे में बाबैन के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होना तय है। तेज हवाओं के थपेडों से धान की फसल खेतों में ही बिछ गई हैं। वहीं इस तुफान के कारण गन्ने की फसल को भी भारी नुकसान को गया है। बाक्स फोटो संख्या- 25

नमी पर कम मिलेंगे दाम

किसान अपार ¨सह ने कहा कि बरसात के कारण जीरी में नमी रहेगी। उसके नाम पर शेलर मालिक मोटे कट लगा रहे हैं। उससे किसानों को मोटा नुकसान होना तय है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में कोई वर्ष ऐसा नहीं गया जिसमें किसानों को नुकसान न हुआ हो।


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