लीची व चीकू की किस्मों के बारे में किसानों को किया जागरूक
लाडवा । उप-उष्णकटिबंधीय फल केंद्र में चल रहे पांच दिवसीय फल उत्सव में सोमवार को लीची व चिकू की किस्मों के बारे में किसानों को वेबिनार के माध्यम से जागरूक किया गया। केंद्र के उप निदेशक डा. पवन कुमार ने बताया कि केंद्र में पांच दिवसीय फल उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। फल उत्सव में हर रोज किसानों को अलग-अलग फल व नई-नई तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है। फल उत्सव में सोमवार को तीसरे दिन लीची व चिकू के बारे में किसानों को जानकारी दी गई तथा उनकी किस्मों के बारे में अवगत कराया गया।
संवाद सहयोगी, लाडवा : उप-उष्णकटिबंधीय फल केंद्र में चल रहे पांच दिवसीय फल उत्सव में सोमवार को लीची व चीकू की किस्मों के बारे में किसानों को वेबिनार के माध्यम से जागरूक किया गया।
केंद्र के उप निदेशक डा. पवन कुमार ने बताया कि केंद्र में पांच दिवसीय फल उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। फल उत्सव में हर रोज किसानों को अलग-अलग फल व नई-नई तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है। फल उत्सव में सोमवार को तीसरे दिन लीची व चीकू के बारे में किसानों को जानकारी दी और उनकी किस्मों के बारे में अवगत कराया।
डा. पवन कुमार ने बताया कि इजराइल के साथ मिलकर इस सेंटर में लीची की तीन किस्में तथा आम की 27 किस्में तैयार की जा रही है। वैसे तो आम की करीब एक हजार किस्में हैं, लेकिन इस फल उत्सव मेले में 273 आम की किस्में प्रदर्शनी के लिए आई हुई है। लाडवा उप-उष्णकटिबंधीय फल केंद्र में लीची की तीन किस्में इस समय तैयार की जा रही है, जिसमें देहरादून, कलकतियां व सीडलैस। लीची का पेड़ 100 साल तक फल दे सकता हैं यदि इसकी देखभाल सही तरीके से की जाए। उन्होंने बताया कि एक पेड़ प्रतिवर्ष 150-160 किलोग्राम फल दे सकता है। लीची का पेड़ फल देने के लिए 5-6 साल में तैयार हो जाता है। इस प्रकार किसान बागवानी के माध्यम से अपनी आय बढ़ा सकते है और इसका लाभ भी उठा सकते है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन कार्यक्रम में 50 से 60 किसान भाग ले रहे है। किसानों को नई-नई तकनीकों की जानकारी दी जा रही है। किसान भी विस्तार से जानकारी ले रहे है। इस समय केंद्र में 41 पेड़ लीची के तैयार हैं। उन्होंने किसानों को चीकू के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। फल उत्सव के पहले दिन सेंटर की आम की 23 किस्में रखी गई, जिसमें तोता परी, चौसा, आम्रपाली, अरुणिका, लंगड़ा, केसर, रामकेला, अंबिका, पूसा अर्णिमा, दशहरी, सीवर, मल्लिका, आस्टिन, लीली, दूधपेड़ा, पूसा लालिमा, पूसा सूर्या, पूसा प्रतिमा, फर्नांडिन, पूसा पितांबर किस्में प्रदर्शनी में रखी गई थी। उत्सव के तीसरे दिन लीची व चीकू की फसलों के बारे में किसानों को जानकारी दी गई कि वह कौन सी फसल किस समय पर लगाकर उससे लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान एक एकड़ में लीची की फसल लगाकर लगभग तीन लाख रुपये प्रति वर्ष तक कमा सकते हैं। इस अवसर पर कई प्रकार की प्रतियोगिताएं कराई गई। जिसमें विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया।