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नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में योगदान दें : डा. कैलाश चंद्र

इंदिरा गांधी नेशनल कालेज व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में ई-राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का विषय नई शिक्षा नीति आवश्यकता एवं अवसर रहा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Nov 2021 06:25 PM (IST)Updated: Tue, 09 Nov 2021 06:25 PM (IST)
नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में योगदान दें : डा. कैलाश चंद्र

- कुवि के पूर्व कुलदीप डा. कैलाश चंद शर्मा रहे मुख्य वक्ता

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संवाद सहयोगी, लाडवा : इंदिरा गांधी नेशनल कालेज व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में ई-राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का विषय नई शिक्षा नीति आवश्यकता एवं अवसर रहा। संगोष्ठी में उच्च शिक्षा संस्थान, विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. कैलाश चंद्र शर्मा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। डा. कैलाश चंद्र शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जो शिक्षा को उच्च स्तर पर ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने शिक्षक वर्ग से अपील करते हुए कहा कि वे सभी इस शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अपना अहम योगदान देकर इसे सफल रूप प्रदान करे। विशिष्ट अतिथि डा. संजीव शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के उद्देश्य एवं कार्यों पर विस्तृत चर्चा की। संगोष्ठी में डा. संजीव शर्मा, डा. विवेक कोहली, सोहन लाल व डा. पवन शर्मा ने संगोष्ठी के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि आज के भाग-दौड़ वाले समय में व्यक्ति अपने संस्कार और संस्कृति से दूर होता चला जा रहा है।

अतिथियों का किया स्वागत

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हम किस प्रकार विद्यार्थियों में संस्कृति और संस्कारों के प्रति जागृत कर सकते हैं। कालेज प्राचार्य डा. हरिप्रकाश शर्मा ने मुख्य वक्ता व विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया तथा संगोष्ठी से शिक्षा पद्धति में हुए परिवर्तन से विद्यार्थियों को क्या-क्या लाभ मिलेगा के बारे में बताया।

ये रहे मौजूद

इस अवसर पर डा. रवीश चौहान, डा. रुपेश गौड़, डा. अमित कुमार, डा. अशोक वर्मा, डा. संदीप बंसल, डा. राजेश कुमार, डा. संजय कौशिक, डा. निर्मल गोयल सहित संगोष्ठी में पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, प. बंगाल एवं मध्यप्रदेश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।


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