जागरूक होकर सावधानी बरतने से टीबी का इलाज संभव : अनेजा
विश्व टीबी दिवस के उपलक्ष्य में शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हेल्थ सेंटर के मेडिकल आफिसर डा. आशीष अनेजा ने लोगों को टीबी से बचाव को लेकर जागरूक किया। उन्होंने कहा कि लक्षणों की पहचान कर समय से उपचार करवाने पर टीबी का इलाज संभव है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : विश्व टीबी दिवस के उपलक्ष्य में शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हेल्थ सेंटर के मेडिकल आफिसर डा. आशीष अनेजा ने लोगों को टीबी से बचाव को लेकर जागरूक किया। उन्होंने कहा कि लक्षणों की पहचान कर समय से उपचार करवाने पर टीबी का इलाज संभव है। लापरवाही बरतने से टीबी से पीड़ित मरीज की जान भी जा सकती है। ऐसे में जरूरी है कि लक्षणों की पहचान होने पर इसकी जांच करवाई जाए और समय से उपचार लिया जाएगा। टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। इससे सीधा फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। यह धीमी गति से बढ़ते बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के उन भागों में ज्यादा बढ़ता है जिनमें खून और ऑक्सीजन होती है। इसलिए इसे पल्मोनरी टीबी भी कहा जाता है। टीबी संक्रमित व्यक्ति को खांसी, छींक या उसकी लार से निकले बैक्टीरिया से अन्य व्यक्ति तक पहुंचता है।
इन लक्षणों से होती है पहचान :
उन्होंने बताया कि कई बार मरीज में लगातार खांसी होती है और कुछ समय के पश्चात खांसी में खून आना शुरू हो जाता है। इसके साथ- साथ ग्रंथियों में सूजन, सिर दर्द, निरंतर बुखार रहना, रात के समय पसीना आना, मानसिक परिवर्तन, सांस लेने के दौरान छाती में दर्द होना, सांस फूलना, भूख ना लगना, भोजन के प्रति अरुचि, लगातार वजन घटना, पीठ में अकड़ना रहना इसके सामान्य लक्षण हैं।
टीबी का इलाज संभव
उन्होंने बताया कि आमतौर पर सही उपचार से टीबी ठीक हो सकती है। इसके उपचार में करीब छह से नौ माह का समय लगता है। कई बार असाधारण परिस्थितियों में दो साल तक भी इसका ट्रीटमेंट लेना पड़ता है। इसके लिए मरीज को ब्लड टेस्ट के साथ- साथ छाती का एक्स-रे करवाना चाहिए, टीबी के मरीज को हमेशा मास्क पहनना चाहिए, मुंह ढक कर रखना चाहिए।