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जातिमुक्त समाज के पक्षधर डॉ.आंबेडकर: प्रो. महावीर

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में डॉ. बीआर आंबेडकर स्टडीज सेंटर द्वारा डॉ. आंबेडकरर्स विजन ऑफ सोशो इकानॉमिक ट्रांसर्फोमेंशन विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. महावीर ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत में जातिमुक्त समाज के पक्षधर थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 08:01 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 08:01 AM (IST)
जातिमुक्त समाज के पक्षधर डॉ.आंबेडकर: प्रो. महावीर
जातिमुक्त समाज के पक्षधर डॉ.आंबेडकर: प्रो. महावीर

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में डॉ. बीआर आंबेडकर स्टडीज सेंटर द्वारा डॉ. आंबेडकरर्स विजन ऑफ सोशो इकानॉमिक ट्रांसर्फोमेंशन विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. महावीर ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत में जातिमुक्त समाज के पक्षधर थे। उनका मानना था कि समाज में वंचित वर्ग को छुआछूत का सामना करना पाता है, जिनसे उनका स्वाभिमान क्षुण होता है। वे चाहते थे कि जब तक समानता, स्वतंत्रता, स्वाभिमान, लिग समानता, शिक्षा में समानता नहीं होगी। तब तक समाज में एक विशेष वर्ग का शोषण रहेगा। इससे मुक्ति पाने के लिए जातिमुक्त समाज की स्थापना आवश्यक है। दूसरे सत्र मे सुलभ इंडिया के सम्पादक प्रो. अनिल दत्त मिश्रा ने कहा कि डॉ. आंबेडकर केवल दलित समाज के नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के मसीहा है। भारतीय समाज को यह मानना चाहिए कि डॉ. आंबेडकर किसी विशेष वर्ग में विश्वास नहीं रखते हुए बंधुत्व एवं भाईचारे में विश्वास रखते थे। तीसरे सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की सहायक प्रो. डॉ. कौशल पंवार ने कहा कि समाज में समग्रता होनी चाहिए। वर्तमान समय में सोशल मीडिया के द्वारा जो समाज के खास वर्ग को चिन्हित करके भला-बुरा कहा जाता है उससे समाज की एकता खंडित होती है। इसलिए बाबा साहब सामाजिक बदलाव के साथ-साथ आíथक और राजनीतिक बदलाव के पक्षधर है।

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केंद्र के उप-निदेशक डॉ. गोपाल प्रसाद ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि जिस उदेश्य को लेकर बाबा साहब के सामाजिक, आíथक बदलाव को लेकर संगोष्ठी की परिकल्पा की गई थी,विभिन्न शोधाíथयों ने अपने शोध पत्रों से पूर्ण करने में सफल रहे। डॉ. बीआर आंबेडकर स्टडीज सेंटर के निदेशक प्रो. महावीर नरवाल ने बताया कि इस संगोष्ठी में 250 के लगभग शोधाíथयों ने पंजीकरण करवाया, इससे संगोष्ठी की सार्थकता पूर्ण होती है। इस संगोष्ठी में श्रीलंका, नेपाल, भूटान, सहित उडीसा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलगांना, गुजरात आदि स्थानों से रिसोर्स पर्सन, शिक्षाविदों, शोधाíथयों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं विद्याíथयों ने प्रमुखता से भाग लिया।।संगोष्ठी के संयोजक सचिव डॉ. अजय सोलखे ने दोनों दिन की रिपोर्ट प्रस्तुत की ओर इस संगोष्ठी के महत्व के बारे में अवगत करवाया। इस अवसर पर प्रो. निर्मला चौधरी, प्रो. जोगिद्र सिंह, प्रो. सुभाष चंद, प्रो. दर्शन सिंह, डॉ. कामराज सिधु, डॉ. महावीर रंगा, डॉ. रमेश सिरोही, डॉ. अभिनव, डॉ. बंसीलाल, डॉ. जयकिशन चंदेल, डॉ. पुरूषोत्तम, अशोक कुमार मौजूद रहे।


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