इस युवती को देख डॉक्टर भी हैरान, शरीर में सिर्फ एक ग्राम हीमोग्लोबिन, चूना-मिट्टी खाकर जिंदा
कुरुक्षेत्र की 22 वर्षीय युवती के रक्त में सिर्फ एक ग्राम हीमोग्लोबिन है। चूना मिट्टी और कोयला उसके रोज के आहार में शामिल हैं।
कुरुक्षेत्र [विनीश गौड़]। एक स्वस्थ पुरुष के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 से 16 और महिला में 10-13 ग्राम होनी चाहिए, यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा तीन ग्राम से कम हो जाती है तो जीवन की संभावनाएं क्षीण हो जाती हैं। लेकिन कुरुक्षेत्र की 22 वर्षीय युवती के रक्त में सिर्फ एक ग्राम हीमोग्लोबिन है। चूना, मिट्टी और कोयला उसके रोज के आहार में शामिल हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इसका कारण जियोफेजी या पाइका नामक बीमारी है। निधि के परिवार वालोंं को भी इस बारे में तब पता चला, जब वे उसे लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल लेकर पहुंचे। निधि की आंखें बुरी तरह से सूज गईं थीं।
एलएनजेपी में जब उसके रक्त की जांच की गई तो पता चला कि महज तीन ग्राम हीमोग्लोबिन ही है। फिजीशियन डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली बताते हैं कि उनके जीवन में इस तरह का चौथा मरीज सामने आया है। डॉ. शैलेंद्र के अनुसार इस तरह के दुर्लभ ही मामले होते हैं। रक्त में तीन ग्राम से कम हीमोग्लोबनि रह जाए तो कंजस्टिव हार्ट फेलियर की संभावना ज्यादा रहती है।
इस कारण होती है हीमोग्लोबिन की कमी
डॉ. ममगाईं ने बताया कि खाने-पीने में लापरवाही से हीमोग्लोबिन कम होने लगता है जिसका असर कुछ वक्त के बाद दिखता है। चेहरे पर सूजन, स्किन काली होने लगना, थकावट और नींद आने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। कोई बच्चा या बड़ा विकृत किस्म की चीजों को खाने की समस्या से पीडि़त है तो इसका मतलब है कि उसमें आयरन की कमी है। ऐसे लोग चॉक, मिट्टी, पेंसिल, रबड़ खाने लगते हैं। इसे पाइका कहते हैं।
क्या करें
- पुराने समय में लोग लोहे की कढ़ाई में सब्जी बनाते थे। लोहे की कढ़ाई में बने खाद्य पदार्थ खाने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है।
- हरी सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
- एलोवेरा का जूस पिएं। इसे नेचुरल ब्लड बूस्टर माना जाता है।
- फाइबर और न्यूट्रिएंट्स रिच फूड को प्राथमिकता दें।