डेंगू की चपेट में एलएनजेपी अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ
आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता करने वाला जिला सिविल सर्जन और एलएनजेपी अस्पताल का स्टाफ खुद डेंगू की चपेट में है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र
आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता करने वाला जिला सिविल सर्जन और एलएनजेपी अस्पताल का स्टाफ खुद डेंगू की चपेट में है।
दो डॉक्टरों समेत जिला सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यरत पांच कर्मचारी को संदिग्ध डेंगू हुआ है। इसका असर एलएनजेपी अस्पताल में भी देखने को मिल रहा है। प्रभावित दोनों डॉक्टरों को निजी अस्पताल ने रैपिड टेस्ट में डेंगू होने की बात सामने आई, जबकि मलेरिया विभाग इस पर टिप्पणी करने से बच रहा है। मलेरिया विभाग के मुताबिक डॉक्टरों के सैंपल आ चुके हैं, अब एलाइजा टेस्ट होगा। इसके बाद ही पुष्टि होगी। मलेरिया विभाग ने एलएनजेपी अस्पताल में एंटी लारवा और फॉगिग अभियान चला दिया है। डॉक्टरों और स्टाफ के बीमारी की चपेट में आने से मरीजों में भी हड़कंप है। बीमारी फैलाने के लिए पर्याप्त है गंदगी
जिला सिविल सर्जन कार्यालय व एलएनजेपी अस्पताल में संदिग्ध डेंगू के प्रकोप बढ़ने के बाद दैनिक जागरण ने रविवार को अस्पताल में स्थिति का जायजा लिया तो स्थिति साफ नजर आई। अस्पताल में फैली गंदगी को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां डेंगू के अलावा अन्य बीमारियां भी पैर पसार सकती हैं। अस्पताल से निकलने वाला कचरा मनोरोग विभाग के पास डाला हुआ है, जिसमें प्लास्टिक के गिलास, पोलिथिन भी हैं। इसके अलावा नारियल के खाली खोल भी अस्पताल परिसर में फैले हैं, जिन्हें शायद मरीजों के परिजनों ने फेंका होगा। पोलिथिन में बंधे इन खोल में डेंगू का लारवा पनप सकता है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के नजदीक शौचालय से लीक होता गंदा पानी भी अस्पताल परिसर में मरीजों को और बीमार कर सकता है। अब तक आठ केस डेंगू के मिले : डॉ. सुदेश
जिला मलेरिया नोडल अधिकारी डॉ. सुदेश सहोता ने बताया कि अब तक जिलेभर में आठ ही डेंगू के मरीज सामने आए हैं। दो डॉक्टरों को संदिग्ध डेंगू की चपेट में आने की सूचना जरूर मिली है, लेकिन अभी तक उसकी पुष्टि नहीं की जा सकती, क्योंकि चिकित्सकों के रैपिड टेस्ट हुए हैं। एलाइजा टेस्ट के बाद ही डेंगू होने की पुष्टि की जा सकती है। सोमवार को डॉक्टरों के सैंपल लगाए जाने हैं। इसके बाद स्थिति साफ होगी। जबकि अस्पताल परिसर में एंटी लारवा अभियान चलाने के साथ-साथ फॉगिग करा दी गई है। ओपीडी में भी दवा का छिड़काव करा दिया गया है।