पीजी करने आए विद्यार्थियों की दो माह से लग रहीं कक्षाएं, स्टाइपंड अब तक निश्चित नहीं
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में पीजी विद्यार्थियों की कक्षाओं को शुरू हुए दूसरा महीना बीत गया लेकिन अब तक विद्यार्थियों को दिया जाने वाला स्टाइपंड डिसाइड नहीं हुआ। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ईसी की बैठक में रोहतक पीजीआइएमएस के पैटर्न पर 60 हजार से ज्यादा का स्टाइपंड दिए जाने का मुद्दा रखा था। मगर इस राशि पर आयुष विभाग और एसीएस के नॉमिनी की स्वीकृति नहीं मिली। मामला 35 हजार स्टाइपंड राशि पर अटक गया। अब इस पर विद्यार्थी नहीं मान रहे।
विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में पीजी विद्यार्थियों की कक्षाओं को शुरू हुए दूसरा महीना बीत गया, लेकिन अब तक विद्यार्थियों को दिया जाने वाला स्टाइपंड डिसाइड नहीं हुआ। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ईसी की बैठक में रोहतक पीजीआइएमएस के पैटर्न पर 60 हजार से ज्यादा का स्टाइपंड दिए जाने का मुद्दा रखा था। मगर इस राशि पर आयुष विभाग और एसीएस के नॉमिनी की स्वीकृति नहीं मिली। मामला 35 हजार स्टाइपंड राशि पर अटक गया। अब इस पर विद्यार्थी नहीं मान रहे।
विद्यार्थियों ने बताया कि यह स्टाइपंड पड़ोसी राज्यों से बहुत कम है। इसके अलावा विश्वविद्यालय प्रशासन अस्पताल में रिसर्च करने के लिए सिटिग अरेंजमेंट के साथ परिसर में रहने के लिए हॉस्टल की व्यवस्था तक इन विद्यार्थियों के लिए नहीं कर पाया। वहीं विद्यार्थियों के मुताबिक इन कारणों से वे रिसर्च की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। इन विभागों में मिली हैं सीटें
बाल रोग विभाग में तीन, शरीर क्रिया में छह, शरीर रचना में छह, पंचकर्म में तीन और शल्य में छह सीटें मिली हैं। इन सीटों में ऑल इंडिया रैंक के तीन विद्यार्थियों के दाखिले भी हुए हैं। टेस्ट कराने तक के लिए बाहर जाना पड़ता मरीजों को
पंचकर्म में मरीजों पर शुल्क लगाया हुआ है, जबकि अस्पताल परिसर में लेबोरेटरी रूम में किडनी और शरीर के सामान्य टेस्ट कराने के लिए भी मरीजों को बाहर जाना पड़ता है। हालांकि इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द ही नई मशीनें आने की बात कह चुका है। इसके अलावा छोटी एक्सरे मशीन है। विद्यार्थियों के मुताबिक मरीजों के उपचार में यह बुनियादी जरूरतें हैं। इस मामले की कराई जाएगी जांच : डॉ. अनिल शर्मा
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय स्तर पर पीजी के विद्यार्थियों को स्टाइपंड देने में कोई दिक्कत नहीं है। अगर किसी स्तर पर कॉलेज प्रशासन को स्टाइपंड देने या विद्यार्थियों को लेने में कोई दिक्कत है तो इस मामले की जांच कराई जाएगी।