बच्चों ने पी स्वर्ण प्राशन की दो बूंद
श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम में सोमवार को 733 बालकों ने प्राशन की दो बूंद गटकी। रोहतक पानीपत करनाल जींद कैथल बिलासपुर और हरियाणा भर से अभिभावक अपने बच्चों को लेकर पहुंचे।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम में सोमवार को 733 बालकों ने प्राशन की दो बूंद गटकी। रोहतक, पानीपत, करनाल, जींद, कैथल, बिलासपुर और हरियाणा भर से अभिभावक अपने बच्चों को लेकर पहुंचे।
बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. शंभू दयाल शर्मा ने कहा कि स्वर्ण प्राशन के सेवन से बालकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे बालक स्वस्थ रहता है और रोग होने की संभावनाएं कम रहती है। विशेषज्ञ डॉ. अमित कटारिया ने बताया कि इस औषध का उपयोग पुष्य नक्षत्र में विशेष लाभप्रद होता है। स्वर्ण प्राशन में शुद्ध स्वर्ण व अन्य महत्वपूर्ण औषधियों के मिश्रण का प्रयोग ड्रॉप्स रूप में कराया जाता है। इसका निरंतर प्रयोग बालकों के लिए लाभदायक होता है। हमारी संस्कृति में भी इस विधा का प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है। अब तक लगभग आठ हजार बालक इससे लाभान्वित हो चुके हैं। ऐसे शिविरों का आयोजन निरंतर होना चाहिए। पंचकर्म के शिक्षक डॉ. अशोक राणा ने कहा कि आयुर्वेद में औषधियों का ऐसा खजाना छिपा है, जो अमृत की तरह काम करती हैं। गंभीर से गंभीर रोगों को आयुर्वेद की औषधियां ठीक कर सकती हैं। इसके साथ ही अगर आम व्यक्ति सिर्फ आयुर्वेद के मुताबिक ऋतुओं में अपना खान-पान रखे तो वह व्यक्ति सामान्य रूप से बीमार ही नहीं होता। शिविर के सम्यक संपादन में डॉ. सुधीर मलिक, एमडी स्कालर्स इंदु, अंजू रानी, इंटर्न छात्र रजत व प्रीति मौजूद रहे।