Move to Jagran APP

अ‌र्घ्य देने उमड़ा आस्था का सैलाब

धर्मनगरी में ब्रह्मासरोवर पर पूर्वाचल के लोगों ने उत्साह से छठ पर्व मनाया गया। हजारों लोगों ने श्रद्धा के साथ ब्रह्मासरोवर पर पूजा कर अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। कुरुक्षेत्र के अलावा कैथल अंबाला व करनाल सहित आसपास के कस्बों से पूर्वांचल के लोग छठ पर्व में अ‌र्घ्य अर्पित करने पहुंचे। भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 07:30 PM (IST)Updated: Wed, 10 Nov 2021 07:30 PM (IST)
अ‌र्घ्य देने उमड़ा आस्था का सैलाब
अ‌र्घ्य देने उमड़ा आस्था का सैलाब

फोटो-23, 24, 25, 28, 29 व 30

loksabha election banner

-ब्रह्मासरोवर दो जगह और पिहोवा में सरस्वती तीर्थ पर कार्यक्रम किया

-सरोवर पर कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, अंबाला व करनाल सहित आसपास के कस्बों से भी लोग पहुंचे जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : धर्मनगरी में ब्रह्मासरोवर पर पूर्वाचल के लोगों ने उत्साह से छठ पर्व मनाया गया। हजारों लोगों ने श्रद्धा के साथ ब्रह्मासरोवर पर पूजा कर अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। कुरुक्षेत्र के अलावा कैथल, अंबाला व करनाल सहित आसपास के कस्बों से पूर्वांचल के लोग छठ पर्व में अ‌र्घ्य अर्पित करने पहुंचे। भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना की। वीरवार को सुबह 6:40 बजे उदयगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो जाएगा।

पूर्वांचल के लोगों ने बुधवार को सुबह के समय सूर्य नारायण यज्ञ किया गया। अखिल भारतीय पूर्वांचल कल्याण समाज सभा ने संस्कृत वेद विद्यालय और छठ पर्व सेवा समिति ने ब्रह्मासरोवर पर यज्ञ किया। इसके बाद दोपहर के समय लोगों ने पूजा के लिए ब्रह्मासरोवर पर पहुंचना शुरू कर दिया। महिलाएं सिर पर पूजा की टोकरी और बच्चे हंसते गाते हुए पहुंचे। शाम को जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया और आरती की। इसके बाद रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए।

छठ का व्रत कठिन

श्री पूर्वांचल छठ पर्व महासभा के सदस्य सुनील राय ने बताया कि छठ पूजा का पर्व उत्तर प्रदेश-बिहार समेत देश के कई भागों में मनाया जाता है। खासकर जहां पूर्वांचल व बिहार के लोग रहते हैं। दीपावाली के बाद छठ को सूर्य उपासना का पर्व माना जाता है। व्रत रखने वाले को सूर्य उदय तक पानी नहीं पीना होता है। इसलिए इस व्रत को काफी कठिन व्रत माना जाता है। लोगों ने निरोगी काया और संतान की सुख समृद्धि की कामना की। इस व्रत का फल सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति से भी ज्यादा होता है। सिर्फ संतान ही नहीं बल्कि परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

सूर्य यज्ञ में डाली आहुति

अखिल भारतीय पूर्वांचल समाज सभा ने संस्कृत वेद पाठशाला में सूर्य नारायण यज्ञ किया। मुख्य यजमान सभा के संयुक्त सचिव शिवनाथ मिश्रा और उनकी पत्नी रहे। सभा के प्रधान राकेश शर्मा ने ज्योत प्रज्जवलित की। उन्होंने बताया कि सूर्य नारायण यज्ञ सभा के महासचिव दिवंगत कमल भारद्वाज की आत्मिक शांति और कोरोना महामारी में मृत लोगों की आत्मिक शांति को समर्पित किया।

ये रहे मौजूद

इस मौके सभा के संरक्षक एनके प्रसाद, तपेश्वर मिश्र, खजांची कामेश्वर प्रसाद, भाजपा पूर्वाचल प्रकोष्ठ के जिला संयोजक उमा शंकर, उमेश पाठक, सदानंद, महानंद राम, भिखन मंडल, सुभाष झा, मुक्तिनाथ मिश्रा, लाल बहादुर महतो, लक्ष्मण, विनोद, ब्रह्मादेव, कुमार इशांत व अभिषेक मिश्रा मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.