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ICICI की सीईओ चंदा कोचर और प्रबंधक सहित सात पर धोखाधड़ी का केस

हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पिपली के एक उद्यमी ने धोखाधड़ी के आरोप में आइसीआइसीआइ बैंक की चेयरपर्सन चंदा कोचर सहित सात अफसरों के खिलाफ केस दर्ज कराया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 09:36 AM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 12:23 PM (IST)
ICICI की सीईओ चंदा कोचर और प्रबंधक सहित सात पर धोखाधड़ी का केस
ICICI की सीईओ चंदा कोचर और प्रबंधक सहित सात पर धोखाधड़ी का केस

जेएनएन, पिपली (कुरुक्षेत्र)। पुलिस ने निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक अाइसीअाइसीआइसी बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सदर थाना पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में आइसीआइसीआइ बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर सहित सात अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनके खिलाफ एक स्थानीय उद्यमी धीरज गुप्ता ने न्यायालय में अर्जी दायर की थी। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने अब एफआइआर दर्ज कर ली है।

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जिन अन्य छह अधिकारी के केस दर्ज किया गया है वे हैं आइसीआइसीआइ बैंक की स्थानीय शाखा के अधिकारी राहुल धवन, अंशुमन अरोड़ा, एग्रीकल्चर विंग के ब्रांच मैनेजर सवि जैन, वेयर हाउसिंग के प्रबंधक आरके शर्मा, आइसीआइसीआइ बैंक (चंडीगढ़) की सहायक मैनेजर आइशा नेगी, सीनियर जनरल मैनेजर एग्रीकल्चर बैंकिंग ए कामिनी।

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लाडवा रोड स्थित इंदौया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी धीरज गुप्ता ने बताया कि उन्होंने आइसीआइसीआइ बैंक की पिपली शाखा से 4.40 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। कर्ज लेने का एग्रीमेंट 3 मई, 2016 को हुआ था। कंपनी ने कर्ज के एवज में पिपली पुलिस लाइंस के सामने बने सरकारी वेयर हाउसिंग गोदामों में अलग-अलग तिथियों में सिक्योरिटी के रूप में देसी घी के टीन और सूखे दूध के बैग जमा कराए थे।

उन्‍होंने बताया कि इसकी एवज में बैंक हर बार सही लेन-देन के कारण कंपनी को 60 फीसद की अदायगी करता रहा था। कुछ दिन तक तो सब ठीक चलता रहा, लेकिन 11 सितंबर, 2017 को आइसीआइसीआइ बैंक पिपली के अधिकृत हस्ताक्षरी राहुल धवन ने कंपनी को 94,38,506 रुपये की राशि का भुगतान 15 दिन में करने का नोटिस जारी किया।

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नोटिस में कहा गया कि अगर समय पर राशि का भुगतान नहीं किया गया तो वेयर हाउस में रखे सामान से इसकी भरपाई की जाएगी। धीरज गुप्ता का आरोप है कि बैंक कर्मियों ने मिलीभगत कर कुरुक्षेत्र अदालत में नोटिस में दिए गए समय से पहले ही केस दायर करा दिया।

उन्‍होंने बताया कि एक याचिका उच्च न्यायालय में छूट से पहले दायर की गई, जिसमें गलत तथ्य दर्शाते हुए बताया गया कि कंपनी का खाता एनपीए हो चुका है। धीरज गुप्ता का आरोप है कि वेयर हाउङ्क्षसग के रिकॉर्ड के अनुसार उसका 1,78,80,000 रुपये का सामान वेयरहाउस में रखा था, जो आरोपितों ने इधर-उधर कर दिया।

सदर थाने में दर्ज इस केस के बारे में पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र पाल सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। जांच के बाद आरोपितोंं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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