भाई बहन की मंगल कामना का पर्व है भैय्या दूज
कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली के अध्यक्ष डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि उल्लास के पर्व दीपावली के तीसरे दिन भाई-बहन के प्यार के प्रतीक भाई दूज मनाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली के अध्यक्ष डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि उल्लास के पर्व दीपावली के तीसरे दिन भाई-बहन के प्यार के प्रतीक भाई दूज मनाया जाएगा। सोमवार को अनुराधा नक्षत्र, चंद्रमा वृश्चिक राशि को पड़ने वाले भाई-दूज के साथ ही पंच दीपोत्सव का समापन हो जाएगा। भाई दूज पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है और सुख-समृद्धि व वैभव की मंगल कामना करती हैं। इस दिन यमुना में स्नान करने की परंपरा है।
बहनें अपने भाइयों को घर पर भोजन करवाती हैं। भाई बहनों को स्नेह स्वरूप उपहार भेंट करते हैं। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला यह पर्व भाईदूज के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन की तरह से यह पर्व भी भाई-बहन के लिए विशेष है। भाई दूज का पौराणिक महत्व है : पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज को कई बार उनकी बहन यमुना ने मिलने बुलाया था, लेकिन यमराज जा नहीं पाए। फिर एक दिन ऐसा हुआ कि यमराज अपनी बहन से मिलने पहुंच गए। उन्हें देख यमुना जी खुश हुईं। यमुना ने यमराज का बड़े ही प्रेम भावना से आदर-सत्कार किया। यमराज को उनकी बहन ने तिलक लगाया और उनकी मंगल कामना की। उन्हें भोजन भी कराया। यमराज जी अति प्रसन्न हुए। उन्होंने अपनी बहन को वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने मांगा कि हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को आप मेरे घर आया करो। इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाएगा और तिलक करवाएगा उसे यमराज के कष्ट व अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। यमराज ने अपनी बहन का वरदान पूरा किया। तभी से भाई दूज का यह त्योहार मनाया जाने लगा। भाई दूज का शुभ मुहूर्त: भाई दूज के तिलक का समय शुभ चौघड़िया प्रात: नौ बजकर 29 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट है। दोपहर एक बजकर 27 मिनट से लेकर सायं पांच बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इस समय में चर ,लाभ और अमृत चौघड़िया है।