रेवती नक्षत्र में होगी बसंत पंचमी
कुरुक्षेत्र इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी मंगलवार को रेवती नक्षत्र में होगी।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी मंगलवार को रेवती नक्षत्र, चंद्रमा मीन राशि और कुंभ राशि के सूर्य और शुभ योग में मनाई जाएगी। इसी दिन से ही बसंत ऋतु की शुरूआत होती है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है।
कॉस्मिक एस्ट्रो व श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के अध्यक्ष ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि बसंत पंचमी हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहन कर सरस्वती मां की पूजा का विधान है। सभी शुभ कार्यों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। विशेष विद्या आरंभ, नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह-प्रवेश के लिए बसंत पंचमी को पुराणों में भी अत्यंत श्रेयकर माना गया है। यह प्रकृति का उत्सव है गीता में भगवान श्री कृष्ण ने मैं ऋतुओं में बसंत हूं कहकर बसंत ऋतु को अपना स्वरूप बताया है। इस दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार मानव हृदय में प्रेम और आकर्षण का संचार किया था। इस दिन कामदेव और रति के पूजन का उद्देश्य दांपत्य जीवन को सुखमय बनाना है, जबकि सरस्वती पूजन का उद्देश्य जीवन में अज्ञानरूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न करना है। मां सरस्वती की पूजा ऐसे कीजिए : सत्वगुण से उत्पन्न होने के कारण इनकी पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां अधिकांश: श्वेत वर्ण की होती हैं। जैसे श्वेत चंदन, श्वेत वस्त्र, फूल, दही-मक्खन, सफेद तिल का लड्डू, अक्षत, घृत, नारियल और इसका जल, श्रीफल व बेर इत्यादि । इस दिन सुबह स्नानादि के पश्चात श्वेत अथवा पीले वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक कलश स्थापना करें। मां सरस्वती के साथ भगवान गणेश, सूर्यदेव, भगवान विष्णु व शिवजी की भी पूजा अर्चना करें। श्वेत फूल-माला के साथ माता को सिदूर व अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें। बसंत पंचमी के दिन माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित करने का विधान है। प्रसाद में मां को पीले रंग की मिठाई या खीर का भोग लगाएं । इस मंत्र का करें जाप
यथाशक्ति ॐ ऐं सरस्वत्यै नम: का जाप करें। मां सरस्वती का बीजमंत्र ऐं है जिसके उच्चारण मात्र से ही बुद्धि विकसित होती है। इस दिन से ही बच्चों को विद्या अध्ययन प्रारंभ कराना चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि कुशाग्र होती है व मां की कृपा जीवन में सदैव बनी रहती है।