29 को सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में बसंत पंचमी, ऐसे करें मां सरस्वती की उपासना
Basant Panchami 2020 विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्मोत्सव यानी बसंत पंचमी 29 को मनाया जाएगा। इस दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग बन रहा है।
जेएनएन, कुरुक्षेत्र। Basant Panchami 2020: बसंत पंचमी पर इस बार दो महत्वपूर्ण संयोग बन रहे हैं। यह संयोग भारत और दुनिया के लिए खुशहाली का संकेत है। संयोग के कारण देश और विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्मोत्सव यानी बसंत पंचमी 29 जनवरी को मनाया जाएगा।
बसंत पंचमी के दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग भी बन रहा है। इस कारण पंडितों ने इसे वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत आदि संस्कारों व अन्य शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी रहेंगे। ऐसे में खूब शहनाइयां गूंजेंगी।
खुद की राशि में होंगे तीन महत्वपूर्ण ग्रह
पंडित रामराज कौशिक के अनुसार बसंत पंचमी इस बार विशेष रूप से श्रेष्ठ है। वर्षों बाद ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को और खास बना रही है। इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, वृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए यह स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है। बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्व की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन वीरवार और उतराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। दोनों योग रहने से बसंत पंचमी की शुभता में वृद्धि होगी।
बसंत पंचमी 29 को मनाना रहेगा श्रेष्ठ
बसंत पंचमी को लेकर पंचाग भेद भी है। इसलिए कुछ जगहों पर यह पर्व 29 और कई जगह 30 जनवरी को मनेगा। पंचमी तिथि बुधवार सुबह 10.46 से शुरू होगी जो वीरवार दोपहर 1.20 तक रहेगी। दोनों दिन पूर्वाह्न व्यापिनी तिथि रहेगी। ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी तिथि विद्धा पंचमी होने से शास्त्रोक्त रूप से 29 जनवरी बुधवार को बसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ रहेगा। वराह पुराण और माधव मतानुसार चतुर्थीविद पंचमी ही लेना श्रेष्ठ होता है।
जानिए कैसे बनते हैं योग
सिद्धि योग : वार, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। उदाहरण स्वरूप सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र हो तो सिद्धि योग बनता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग : यह अत्यंत शुभ योग है। यह वार और नक्षत्र के मेल से बनने वाला योग है। वीरवार और शुक्रवार के दिन अगर यह योग बनता है तो तिथि कोई भी हो, यह योग नष्ट नहीं होता है अन्यथा कुछ विशेष तिथियों में यह योग निर्मित होता है।
ऐसे करें मां सरस्वती की उपासना
- पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें।
- पीला वस्त्र बिछाकर उस पर मां सरस्वती को स्थापित करें और रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का प्रसाद रखें।
- मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें।
- मां सरस्वती के मूल मंत्र ऐं सरस्वत्यै नम: का जाप हल्दी की माला से करना सवरेत्तम होगा।
- काले, नीले कपड़ों का प्रयोग पूजन में भूलकर भी न करें।
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