मनरेगा अभियान में सरस्वती नदी में सफाई के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति
बाबैन केंद्र व प्रदेश सरकार के करोड़ों रुपयों के बजट वाला मनरेगा अभियान मात्र कुछ लोगों के लिए लूटपाट का जरिया बनकर रह गया है।
संवाद सहयोगी, बाबैन : केंद्र व प्रदेश सरकार के करोड़ों रुपयों के बजट वाला मनरेगा अभियान मात्र कुछ लोगों के लिए लूटपाट का जरिया बनकर रह गया है। आदिबद्री से चलकर पिहोवा से आगे तक जाने वाली सरस्वती नदी में वर्षा के दिनों में पानी के बहाव को सुचारू रूप से चलाने के उद्देश्य से आजकल मनरेगा योजना के तहत सरस्वती नदी में सफाई का कार्य चल रहा है।
बाबैन व बरगट शाहपुर के बीच बहने वाली इस नदी में करीब एक किलोमीटर में खड़े घास-फूस व अन्य कबाड़ को कटाई व सफाई न कर उसे आग लगाकर खानापूर्ति की जा रही है। मनरेगा अभियान के तहत काम कर रहे मजदूर सरस्वती नदी में खड़े घास-फूस को पहले आग लगाते है, उसके बाद घास की राख को कस्सी से हटा देते है, ताकि किसी को आग लगाए जाने का आभास ना हो। इसके अलावा सफाई अभियान में जुटे मजदूरों ने नदी के किनारे खड़े पुराने नीम के हरे वृक्ष को भी काट दिया। जिससे पेड़ों के सरंक्षण पर भी प्रश्नचिन्ह लगा है। सरस्वती नदी में सफाई के नाम पर हो रहे इस गोलमाल की नदी के साथ लगती जमीन के मालिकों ने भी उच्चाधिकारियों से जांच की मांग की है। गौरतलब है कि हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच ने सरस्वती नदी की सफाई के उद्देश्य से तीन दिन पूर्व ही मनरेगा योजना के तहत सफाई व खुदाई अभियान की शुरूआत की थी।
किसानों ने उठाई जांच की मांग
सरस्वती नदी के निकट लगते खेतों के किसानों सतनाम सिंह, जयगणेष, मोहित सैनी व बलकार सिंह का कहना है कि नदी की सफाई के नाम पर केवल नदी में खड़े घास को आग लगा खाना पूर्ति की जा रही है। जिससे अनेक वन्य जीव-जन्तु मर रहे है। दो दिन पूर्व भी मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों ने नदी में खड़े घास में आग लगाई थी। जिस पर उन्होंने मजदूरों को आग लगाने से मना कर दिया था। जिसके बाद एक दिन बिना आग काम किया। लेकिन दूसरे दिन मजदूरों ने फिर से आग लगा दी। ऐसे में इस मामले में जांच होनी चाहिए।
वर्जन :
सरस्वती नदी की सफाई का कार्य मनरेगा योजना के तहत करवाया जा रहा है। इस संबंध में मनरेगा योजना के तहत मजदूरों से कार्य करवाने वाले मेट को नोटिस जारी कर दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है।
आशुतोष, बीडीपीओ, बाबैन।