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3 लाख 33 हजार 500 बच्चों को खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल की गोली

-22 से 28 फरवरी तक चलेगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान -ट्रिपल-ए की मदद से घर-घर पहुंचकर

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 07:10 AM (IST)
3 लाख 33 हजार 500 बच्चों को खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल की गोली
3 लाख 33 हजार 500 बच्चों को खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल की गोली

-22 से 28 फरवरी तक चलेगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान

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-ट्रिपल-ए की मदद से घर-घर पहुंचकर खिलाई जाएगी दवा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : इस बार भी स्वास्थ्य कर्मचारी स्कूलों समेत घर-घर दस्तक देकर तीन लाख 33 हजार 500 बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाएंगे। इस दौरान उन्हें कोविड-19 के नियमों की पालना करनी होगी। स्वास्थ्य विभाग 22 से 28 फरवरी तक सात दिन चलने वाले इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए ट्रिपल-ए की मदद लेगा। जिले में तीन लाख 71 हजार 717 एल्बेंडाजोल गोलियां पहुंच चुकी हैं। स्कूल हेल्थ कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. संदीप अग्रवाल ने बताया कि 22 से 28 फरवरी तक के अभियान में जो बच्चे या महिलाएं छूट जाएंगे उन्हें एक से तीन मार्च तक मोपअप राउंड में गोली खिलाई जाएगी।

17 हजार 600 महिलाओं को भी खिलाई जाएंगी एल्बेंडाजोल

जिले में एक से 19 वर्ष तक के तीन लाख 33 हजार 500 विद्यार्थी हैं। इनमें एक से पांच साल तक 77 हजार 500 बच्चे हैं, जबकि छह से 19 वर्ष तक के दो लाख 56 हजार विद्यार्थी हैं। स्वास्थ्य विभाग ने एक से 19 वर्ष तक के बच्चों के साथ-साथ 20 से 24 वर्ष तक की 17 हजार 600 महिलाओं को भी एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने का लक्ष्य रखा है। स्वास्थ्य विभाग एएनएम, आशा वर्कर और आंगनबाड़ी वर्करों को घर-घर भेजकर बच्चों व महिलाओं को एल्बेंडाजोल की गोलियां खिलाएगा।

गर्भवती महिलाओं को नहीं खिलाई जाएगी गोली : सोनिया

जिला किशोर परामर्शदाता सोनिया सतीजा ने बताया कि बच्चों और महिलाओं में खून की कमी का सबसे बड़ा कारण पेट में कीड़ों का होना है और इसके इलाज के लिए एल्बेंडाजोल की गोली हर वर्ष दो बार खिलाई जाती है। गर्भवती और बच्चों को अपना दूध पिला रही महिलाओं को छोड़कर 20 से 24 साल तक की महिलाओं को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। यह गोली शारीरिक और मानसिक रूप से बच्चों को स्वस्थ करती है। अगर बच्चे के पेट में कीड़े होंगे तो न तो उसे खान-पान लगेगा और न ही वह स्वस्थ रहेगा। शारीरिक रूप से अस्वस्थ बच्चे का दिमाग भी पढ़ाई व खेलकूद में नहीं लग पाता है। इसलिए बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाती है।


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