आढ़ती मांगों को लेकर एकजुट, प्रदेश स्तरीय बैठक में सोमवार को लेंगे गेहूं खरीद का फैसला
गेहूं के सीजन में मांगों को लेकर आढ़ती एकजुट हो गए हैं। थानेसर की नई अनाज मंडी में आढ़ती एसोसिएशन के तीनों धड़ों ने शनिवार को एक साथ बैठक की। आढ़तियों ने सरकार के नियमों में खरीद करने पर आने वाली परेशानियों के बारे में खुलकर बात की। आढ़तियों ने गेहूं खरीद में सहयोग करने या न करने का फैसला करनाल में सोमवार को होने वाली प्रदेश स्तरीय बैठक में लेना तय किया।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गेहूं के सीजन में मांगों को लेकर आढ़ती एकजुट हो गए हैं। थानेसर की नई अनाज मंडी में आढ़ती एसोसिएशन के तीनों धड़ों ने शनिवार को एक साथ बैठक की। आढ़तियों ने सरकार के नियमों में खरीद करने पर आने वाली परेशानियों के बारे में खुलकर बात की। आढ़तियों ने गेहूं खरीद में सहयोग करने या न करने का फैसला करनाल में सोमवार को होने वाली प्रदेश स्तरीय बैठक में लेना तय किया। हरियाणा अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के निर्णय को मानने की बात कही।
थानेसर आढ़ती एसोसिएशन ने शनिवार को अनाज मंडी धर्मशाला में प्रधान सुशील, प्रधान अंग्रेज सिंह व प्रधान कृष्ण की अध्यक्षता में बैठक की। बैठक में आढ़तियों ने कहा कि सरकार उन्हें बिचौलिया व ठग कहकर बदनाम कर रही है, जबकि आढ़तियों ने हमेशा सरकार का साथ दिया है। गेहूं व धान खरीद में सरकार के नियमों के अनुसार खरीद की है। सरकार हर बार नए-नए फरमान जारी करती है, जिसे आढ़ती मानते हैं, उसके बावजूद भी उन्हें बिचौलिया व ठग कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि किसान को सीधे भुगतान की व्यवस्था सरकार कर चुकी है। धान का भुगतान जो गलत खातों में सरकार की लापरवाही के स्तर पर गया था, वह भी अभी तक नहीं मिला। ढाई प्रतिशत कमीशन के फेर में व्यापारी वर्ग सरकार से दबने वाला नहीं। आढ़तियों को एकता का परिचय देना होगा। सरकार तुगलकी फरमान जारी कर किसान और आढ़ती के बीच दीवार खड़ी करने का काम कर रही है। सरकार किसानों की गेहूं खरीद की नकदी उनके खातों में डालने पर तुली हुई है जबकि काफी संख्या में किसान ऐसे हैं जो कि नकदी आढ़ती के खाते में चाहते हैं। आढ़तियों ने किसानों में अग्रिम राशि बांटी होती है। दोनों के बीच दशकों का लेन देन चल रहा है। इसे प्रभावित करने का काम किया जा रहा है। बैठक के बाद ही लेंगे बारदाना
बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि करनाल में बैठक के निर्णय के बाद ही आढ़ती बारदाना लेंगे। इसके लिए चाहे उन पर कोई भी दबाव आए, मगर आढ़ती एकता बनाए रखेंगे और अभी किसी प्रकार से भी गेहूं खरीद में सरकार का सहयोग नहीं करेंगे।