जल्द सड़कों पर उतरेंगे एडीएएस आधारित वाहन
सड़कों पर निरंतर बढ़ रहे हादसों को रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ वाहन निर्माता कंपनियां भी अब गंभीर होने लगी है। वाहन निर्माण करने वाली कंपनियां अपने वाहनों में ऐसे सभी सुरक्षा फीचर दे रही है जिससे दुर्घटना से बचा जा सके और यदि हादसा हो भी तो चालक को नुकसान न हो। वर्ष 2022 तक नए हलके व भारी वाहनों में ऐसे डिवाइस इनबिल्ट होंगे जो स्वयं निर्णय ले सकेंगे।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सड़कों पर निरंतर बढ़ रहे हादसों को रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ वाहन निर्माता कंपनियां भी अब गंभीर होने लगी है। वाहन निर्माण करने वाली कंपनियां अपने वाहनों में ऐसे सभी सुरक्षा फीचर दे रही है, जिससे दुर्घटना से बचा जा सके और यदि हादसा हो भी तो चालक को नुकसान न हो। वर्ष 2022 तक नए हलके व भारी वाहनों में ऐसे डिवाइस इनबिल्ट होंगे जो स्वयं निर्णय ले सकेंगे। इस तकनीक का प्रयोग यूरोपियन देशों में शुरू हो चुका है, वहीं लग्जरी कारों में इस तरह के फीचर काफी समय से प्रचलन में हैं। स्वयं निर्माण लेने से मतलब यह है कि यह डिवाइस वाहन चलाते समय अचानक सामने आने वाली किसी भी वस्तु को डिटेक्ट करेगा और एकदम से ब्रेक लगा देगा। इससे सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी। केंद्र सरकार एडीएएस यानी अडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम को अनिवार्य करने वाली है। जल्द ही एडीएएस पर आधारित गाड़ियां सड़कों पर दौड़ने लगेंगी, क्योंकि सरकार की ओर से इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। क्या है एडीएएस सिस्टम
एडीएएस सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल, ऑटोनॉमस एमरजेंसी ब्रेकिग सिस्टम, एंटी लॉक ब्रेक्स, लेन डिपार्चर वार्निग और अडैप्टिव क्रूज कंट्रोल आदि फीचर्स शामिल होंगे। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से जल्द ही इस बारे में भी अधिसूचना जारी होगी कि कितनी स्पीड पर एमरजेंसी ब्रेकिग सिस्टम एक्टिव होगा। इससे वाहन निर्माता कंपनियों को अपना प्रोडक्शन प्लान करने के लिए भी पर्याप्त समय मिल जाएगा। ऐसे ही ईएससीएस भी है कारगर
ईएससीएस यानी इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल सिस्टम वाहन में इनबिल्ट ऐसा सिस्टम है जिसमें वाहन के अचानक फिसलने का खतरा कम हो जात है। ऐसा पता लगते ही वाहन में तुरंत ब्रेक लगा देता है। वहीं स्टीयरिग कंट्रोल फेल होने पर भी यह यह खुद ही ब्रेक लगा देगा। इसी तरह से ऑटोनॉमस एमरजेंसी ब्रेकिग सिस्टम के तहत वाहन के सामने किसी अन्य वाहन या वस्तु को डिटेक्ट करने पर भी तुरंत ब्रेक लगा देता है, यह सभी फीचर सिर्फ इसलिए दिए जा रहे हैं, ताकि वाहन दुर्घटनाएं घट सकें। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में 70 फीसदी हादसे मानवीय चूक की वजह से होते हैं। हर साल इनमें लगभग दो लाख लोगों की मौत हो जाती है, जो किसी अन्य देश की तुलना में बहुत ज्यादा है। गंभीर दिख रही है सेफ्टी फीचर को लेकर कंपनियां
रैनो कार निर्माता कंपनी के डीलर वीपीएस मोटर के सेल्स मैनेजर भारत भूषण का कहना है कि पिछले कुछ सालों से कार निर्माता कंपनियां कारों में सेफ्टी फीचर्स को लेकर काफी गंभीर दिख रही हैं। कार कंपनियों के अलावा सरकार भी इस दिशा में लगातार कड़े कदम उठा रही है और नियमों में साल-दर-साल बदलाव कर रही है। अब जितनी भी कारें लांच हो रही हैं उनमें एयरबैग जैसे महत्वपूर्ण सेफ्टी फीचर को स्टैंडर्ड फीचर में शामिल किया गया है। ड्राइविग के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से कार के एयरबैग का एक अहम रोल होता है। सुरक्षा के लिए ये जरूरी नहीं कि आपकी कार में कौन-कौन से फीचर दिए गए हैं, बल्कि ये ज्यादा जरूरी है कि जो फीचर कार में मौजूद हैं वे काम कर भी रहे हैं या नहीं। एयरबैग की भी होती है एक्सपायरी डेट
एयरबैग के निर्माण में जिन कलपुर्जो का इस्तेमाल होता है वे बेहद मजबूत होते हैं। लेकिन इनकी भी एक समय सीमा होती है। जिसके बाद इनकी मजबूती कम होती जाती है। अब कई कार निर्माता कंपनियां एयरबैग रिप्लेसमेंट के लिए समय सीमा तय देने लगी हैं। एयरबैग वाली कार में अवश्य लगाए सीट बेल्ट
कार में लगी सीट बेल्ट का भी एयरबैग फंक्शन से संबंध होता है। एयरबैग को बनाते वक्त इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि गाड़ी में बैठे आदमी ने सीट बेल्ट लगा रखा हो। इसलिए वाहन चालक या उसमें सफर करने वाले लोगों को सीट बेल्ट अवश्य ही लगाना चाहिए। 13 साल से कम उम्र के बच्चों को न बैठाएं अगली सीट पर
वाहन एक्सपर्ट सचिन अरोड़ा का कहना है कि 13 साल या उससे कम उम्र के बच्चों को आगे की सीट पर कभी न बैठाएं। उन्हें हमेशा पीछे की सीट पर ही बैठाना चाहिए। ऐसा इसलिए है कि एयरबैग खुलने की स्थिति में बच्चे एयरबैग की चोट से गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं।