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समस्याओं के मकड़जाल में फंसे बजीदपुर के लोग

बजीदपुर ग्राम पंचायत में कई समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं। ग्राम पंचायत की अपनी आमदन नहीं होने के कारण पंचायत को छोटे-छोटे कार्याें के लिए ग्रांट का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में ग्रांट की देरी विकराल समस्याओं का रूप धारण करती जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 07:34 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 07:34 AM (IST)
समस्याओं के मकड़जाल में फंसे बजीदपुर के लोग
समस्याओं के मकड़जाल में फंसे बजीदपुर के लोग

अश्वनी धनौरा, कुरुक्षेत्र : बजीदपुर ग्राम पंचायत में कई समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं। ग्राम पंचायत की अपनी आमदन नहीं होने के कारण पंचायत को छोटे-छोटे कार्याें के लिए ग्रांट का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में ग्रांट की देरी विकराल समस्याओं का रूप धारण करती जा रही हैं। इनमें सबसे बड़ी समस्या अपनी जमीन नहीं होने के कारण चौपाल की इमारत में चल रही आंगनबाड़ी से ऊभर रही है। अगर कोई समाज या किसी की शादी का कार्यक्रम करना हो तब उन्हें या तो सरकारी स्कूल की छुट्टी का इंतजार करना पड़ता है या फिर समय से पहले ही छुट्टी करानी पड़ती है। गांव में दूसरी बड़ी समस्या दूषित पानी की निकासी नहीं होना है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कई ऐसे नाले हैं, जिनके कारण कई मकानों की दीवारें भी जर्जर हो गई हैं और एक जलघर होने के कारण पीने के पानी की समस्या ने भी लोगों को परेशान किया हुआ है। कई बार खराब होने की स्थिति में गांव में पेयजल की किल्लत हो जाती है। ग्रामीणों के अनुसार गांव के आस-पास कई फैक्ट्रियों के कारण मच्छरों व सेलर से उड़ते कबाड़ से भी गांव के लोग परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन समस्याओं का समाधान कराया जाना चाहिए। ग्रामीणों ने अपनी मांगों व समस्याओं को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता से विशेष बातचीत की। इतिहास गांव में लगभग 1201 मतदाता हैं और 2500 की जनसंख्या है। ग्रामीणों के अनुसार 70 वर्ष पहले यहां पर नाभा वाले राजा का किला हुआ करता था, जिसकी देख-रेख वजीर किया करता था, जिसके नाम पर गांव का नाम बजीदपुर पड़ गया था। गांव के पास कोई पंचायती जमीन नहीं है। गांव में धार्मिक स्थान एक गुरुद्वारा है, शिव मंदिर, नगर खेड़ा, बाला सुंदरी मंदिर, रविदास मंदिर, लाला वाले पीर का स्थान, ईलाही बक्श का स्थान, पीर व महर्षि कालू जी का मंदिर निर्माणाधीन है। गांव की साक्षरतादर करीब 70 प्रतिशत है, प्राथमिक पाठशाला है, दो आंगनबाड़ी, तीन चौपाल एक एससी, बीसी व यादव समाज की है। एक जलघर है। गांव में प्राथमिक चिकित्सालय, पंचायत घर नहीं है और ना ही पशु अस्पताल है। बॉक्स :

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सहमति से चुना था मुखिया लगभग 30 वर्षाें से इस गांव की पंचायत अलग बनी हुई है। 2015 में पहली बार गांव के मुखिया को ग्रामीणों ने सहमति से चुना था और अब तक इस गांव की महिला राम प्यारी ही सन् 2000 से 2005 तक ब्लॉक समिति की चेयरपर्सन रही हैं। ग्रामीणों का कहना हैं कि गांव में कोई पार्टीबाजी नहीं हैं, सभी धर्माें के लोग मिलजुलकर रहते हैं। लोगों की जुबानी दूषित पानी की निकासी नहीं होने के कारण मकानों की हालत हुई खस्ता

फोटो संख्या : 26 ग्रामीण लाल चंद का कहना है कि नालियों व गलियां कबाड़ से अटी हुई हैं, जिसके कारण दूषित पानी घरों के बाहर जमा हो जाता है। ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि उसके घर की दीवारों से सटा हुआ नाला जोहड़ में जा रहा है। मगर उसकी सफाई नहीं होने के कारण वह ओवरफ्लो रहता है और जिसके कारण उसके मकान की दीवारों की हालत खस्ता होती जा रही है। उसने बताया कि वह सरपंच के पास की कई बार गया हैं, मगर उसकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया। तीनों चौपाल की हालत खस्ता

फोटो संख्या : 27 ग्रामीण विरेंद्र राय का कहना है कि गांव में तीन चौपाल हैं जिनकी हालत खस्ता हो चुकी है। गांव में पंचायत घर, प्राथमिक चिकित्सालय व पशु अस्पताल भी नहीं है। ग्रामीणों को छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी शहर जाना पड़ता है। सरपंच व प्रशासन को कई बार कहने के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा हैं। सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके

फोटो संख्या : 28 रमेश दुकानदार का कहना हैं कि गांव की मुख्य सड़क में बडे़-बड़े गड्ढ़े बन चुके हैं। जोकि करीब 18 महिने पहले ही बनाई गई थी। इस सड़क पर राईस मिलर व फैक्ट्रियां हैं। जिसमें जाने के लिए प्रतिदिन सड़क पर ट्रक खड़े रहते हैं व ओवरलोड होकर निकलते हैं। इसी सड़क से प्रतिदिन पिपली ब्लॉक के बीडीपीओ का आना जाना हैं, मगर वह भी आंखे बंद किये हुए हैं। खेल का मैदान नहीं है

फोटो संख्या : 29 पंचायत मेंबर नवीन कुमार का कहना है कि गांव के पास पंचायती जमीन नहीं है। जिसके कारण गांव में विकास के कार्य रुके हुए हैं। ग्राम पंचायत ग्रांट की बाट जोह रही है। गांव के पास पंचायती जमीन नहीं होने के कारण युवाओं के खेलने के लिए कोई खेल मैदान भी नहीं है। युवाओं को अभ्यास करने के लिए शहर में जाना पड़ता है। सरकार व प्रशासन से मांग है कि युवाओं के खेलने के लिए ओपन जिम लगवाई जाए। आंगनबाड़ी के पास नहीं अपनी जमीन

फोटो संख्या : 30 ग्रामीण सुनील का कहना है कि गांव में दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं। केंद्र के पास अपनी जमीन नहीं होने के कारण एक एससी व दूसरी यादव समाज की चौपाल में चल रही है। उनकी भी हालत खस्ता है। उनका कहना है कि अगर समाज के लोगों को शादी या अन्य कोई प्रोग्राम करना होता हैं, तो तब उन्हें गांव के सरकारी स्कूल में यह कार्यक्रम करने पड़ते हैं। जिसके चलते स्कूल के बच्चों की छुट्टी भी करनी पड़ती हैं। उनकी मांग हैं की इस समस्या का समाधान किया जाये। पंचायत के पास आमदनी का साधन नही : बलकार सरपंच बलकार सिंह से फोन पर जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि पंचायत के पास आमदनी का कोई भी साधन नहीं हैं। गांव में सिर्फ समस्या ही समस्या है। पंचायत सरकार पर ही आश्रित हैं। अगर सरकार की ओर से कोई भी ग्रांट आती है तभी इन समस्याओं का समाधान हो पाएगा। सरपंच ने बताया कि दूषित पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण करवाया था, जिसके कारण पुलिया छोटी रह गई। अब सीजन के बाद इसको भी बनवा दी जाएगा। मुख्य सड़क के किनारे दुकानें बन गई हैं और निकासी का प्रबंध नहीं है, इसलिए सड़क की हालत बहुत खराब हो चुकी है।

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