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संस्कृति महासंगम कार्यक्रम में जुड़े देशभर से 550 संस्कृति प्रेमी

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में कार्तिक पूर्णिमा पर संस्कृि

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 09:52 AM (IST)
संस्कृति महासंगम कार्यक्रम में जुड़े देशभर से 550 संस्कृति प्रेमी
संस्कृति महासंगम कार्यक्रम में जुड़े देशभर से 550 संस्कृति प्रेमी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में कार्तिक पूर्णिमा पर संस्कृति महासंगम कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान अध्यक्ष डा. ललित बिहारी गोस्वामी ने की। संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री एवं संस्कृति शिक्षा संस्थान के सचिव अवनीश भटनागर मुख्य वक्ता रहे। ऑनलाइन कार्यक्रम में देशभर से 550 से अधिक जनपदों के संस्कृति प्रेमी जुड़े। मुख्य वक्ता अवनीश भटनागर ने कहा कि भारत की संस्कृति महान एवं विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। इसका गौरव हमारी अगली पीढ़ी को होना चाहिए। क्योंकि बहुत तेजी से सांस्कृतिक मूल्यों में, सांस्कृतिक जीवन पद्धति में गिरावट आज समाज में दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृति में गिरावट नहीं आती, बल्कि संस्कृति तो शाश्वत होती है। गिरावट हमारे व्यवहार में आती है। हमारे जीवन में वह संस्कृति का व्यवहार दिखाई नहीं देता। उन्होंने कहा कि प्राय कह दिया जाता है कि सभ्यता और संस्कृति में गिरावट आ रही है। इसे उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि गिरावट सभ्यता में आती है, संस्कृति तो शाश्वत तत्व है, व्यवहार का तत्व संस्कृति है। धर्म अर्थात जीवन जीने की दृष्टि, उसे कैसे जीवन के व्यवहार में लाया जाए, उस संस्कृति के स्त्रोत को जानना, उनसे परिचय प्राप्त करना, यह अगली पीढ़ी के लिए आवश्यक है। सभ्यताएं बनती हैं, बदल जाती हैं, समाप्त भी हो जाती हैं। भारतीय संस्कृति शाश्वत है, स्थायी है, चिरंतन है और बदलती नहीं है। उसके मूल तत्व नहीं बदलते। उन्होंने कहा कि अन्य विश्व भर की संस्कृतियां की तुलना में भारतीय संस्कृति हिन्दू संस्कृति है। इसकी विशिष्टता है। कार्यक्रम के अंत में दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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