आयुर्वेदिक इलाज से 20 साल पुरानी सोरायसिस खत्म
सर्दी के मौसम में पूरे शरीर पर लाल रंग के चकते उभर आते थे। दवा लेने के बाद से दब तो जाते लेकिन बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पा रही थी। कई बड़े डाक्टरों ने भी हार मान ली थी। ऐसी गंभीर स्थिति में 2021 में दवा का असर खत्म होने लगा।
फोटो-17 व 20 -प्रो. राजबीर ने जून 2021 में श्रीकृष्णा आयुष विवि के कुलपति से साधा संपर्क जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सर्दी के मौसम में पूरे शरीर पर लाल रंग के चकते उभर आते थे। दवा लेने के बाद से दब तो जाते, लेकिन बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पा रही थी। कई बड़े डाक्टरों ने भी हार मान ली थी। ऐसी गंभीर स्थिति में 2021 में दवा का असर खत्म होने लगा। उसकी प्लेटलेट्स तक गिरने लगी थी। ऐसे में जीवन जीने के लिए निराश हो गया। उसने फिर आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया। वह तीन महीने में बिल्कुल ठीक है। इलाज अभी भी जारी है।
यह कहना है कि कुरुक्षेत्र न्यू गीता कालोनी निवासी प्रो. राजबीर का। उन्होंने बताया कि उसने जून 2021 में श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. बलदेव कुमार से किसी परिचित के माध्यम से संपर्क साधा। उस वक्त तक रोग काफी बढ़ चुका था। कई बड़े-बड़े अस्पतालों से इलाज चला। लगातार दवा के सेवन के बावजूद रोग से निजात नहीं मिल पा रही थी। सोरायसिस की वजह से प्लेटलेट लगातार गिरते जा रहे थे। चलते चलते चक्कर आना और शरीर में खराश रहने लगी। प्रो. डा. बलदेव कुमार ने तीन महीने आयुर्वेदिक इलाज के साथ पंचकर्म थेरेपी से उपचार किया। एक सप्ताह में ही शरीर से खुजली बंद हो गई और सोरायसिस के चलते शरीर पर उभरने वाली पपड़ी दब गई। कुलपति प्रो. डा. बलदेव कुमार के आयुर्वेदिक उपचार के बाद वह बिल्कुल स्वस्थ है। डा. नेहा ने भी उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने दिन के चार-चार घंटे उपचार में लगाए।
आयुर्वेद में प्राकृतिक सिद्धांतों पर इलाज
श्रीकृष्ण आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. बलदेव कुमार ने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित है। इसके साथ इसमें विज्ञान सम्मत ह। यह वैज्ञानिक और तर्क संगत ढंग से चिकित्सा करता है। आज से तीन सौ साल पहले तक आयुर्वेदिक पद्धति के माध्यम से बड़े-बड़े रोगों का उपचार किया गया। यह लक्षण पहचान कर त्वरित आराम देती है। इसलिए आयुर्वेद को वर्तमान समय में स्थापित करने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।