खुद पर यकीन करके सशक्तीकरण की राह पर आगे बढ़े महिलाएं: सपना जैन
खुद पर यकीन करके ही युवतियां सशक्तिकरण की राह पर आगे बढ़ सकती है।
जागरण संवाददाता, करनाल
खुद पर यकीन करके ही युवतियां सशक्तिकरण की राह पर आगे बढ़ सकती है। महिलाओं को अपनी भविष्य की तहरीर अपने हाथों से लिखनी होगी। समाज का भी यह दायित्व है कि महिलाओं को आगे बढ़ाने में सहयोग करें। माता-पिता का फर्ज है कि वह बेटियों को कामयाब बनाने में पूरा सहयोग दें। जिम्मेदारी शिक्षकों की सबसे अहम हो जाती हैं। शिक्षक ही सही मायने में बच्चे की प्रतिभा को पहचानकर उसे भविष्य की राह पर लेकर जाता है। यह कहना है उप जिला शिक्षा अधिकारी सपना जैन का। उन्होंने महिला दिवस पर साप्ताहिक साक्षात्कार के तहत बातचीत की। पेश उनसे बातचीत के मुख्य अंश। स्कूली शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा तक जाने में छात्राओं को कितनी कठिनाई आती है?
स्कूली शिक्षा के बाद छात्राओं को उच्च शिक्षा तक जाने में आने वाली कठिनाई पहले के मुकाबले बहुत कम हुई है। करीब तीन दशक पहले देखें तो छात्राओं को 12वीं कक्षा के बाद ज्यादा दिक्कत आती थी। क्योंकि साधारण परिवार के लोग मानते थे कि 12वीं तक पढ़ाई के बाद विवाह के बारे में सोचा जाए। लेकिन साल दर साल आगे बढ़ते हुए यह सोच बदली है। अब 12वीं के बाद उच्च शिक्षा की ओर जाने वाली छात्राओं की संख्या में उत्साह जनक तौर से इजाफा हुआ है। छात्राएं अपने भविष्य को लेकर शिक्षकों से क्या बातचीत करती हैं?
निश्चित तौर पर पहले की तुलना में छात्राओं में अपने भविष्य को लेकर जागरूकता आई हैं। जब वह खुद प्रिसिपल थी तो उनके पास छात्राएं यह पूछने के लिए आती थी कि वह 12वीं के बाद किस कोर्स में जाएं। क्या क्या करेंगे वह सरकारी नौकरी हासिल कर सकती हैं। किस तरह से वह अपना खुद का काम कर सकती है। सुखद यह है कि वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं। स्लम एरिया की बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में क्या प्रयास किए जा रहे हैं ?
स्लम एरिया में शिक्षा की लौ जलाने के लिए शिक्षा विभाग प्रतिबद्ध है। हर साल शिक्षक इस तरह के क्षेत्रों में जाकर उन बच्चों की पहचान करते हैं, जो किसी ना किसी वजह से स्कूल से दूर हैं या फिर एक बार दाखिला होने के बाद दोबारा स्कूल नहीं पहुंचे। इसके बाद इन बच्चों के अभिभावकों से बातचीत की जाती है। शिक्षा परिजनों को विशेषकर कन्या को शिक्षित का महत्व बताते हैं। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। ड्राप आउट बच्चियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। आप समाजसेवा से भी जुड़ी हुई हैं, महिला सशक्तिकरण को लेकर क्या सोच है ?
समाजसेवा से जुड़े कई प्रकल्पों में सक्रियता के साथ भागीदारी की और महिला संबंधित विषयों पर भी काम किया है। इससे यह अनुभव किया है कि महिला सशक्तिकरण की राह प्रशस्त करने के लिए पुरुषों को बराबर की भागीदारी अदा करनी होगी। महिलाओं को भी अपने अधिकारों को लेकर सजग रहना चाहिए।
संक्षिप्त परिचय
नाम-सपना जैन
शिक्षा विभाग में 1988 में अंग्रेजी लेक्चरार के रूप में सेवाएं देनी शुरू की
2003 में पदोन्नत होकर प्रिसिपल, फिर बीईओ और उपजिला शिक्षा अधिकारी बनी
उपलब्धि - 2010 में स्टेट टीचर अवार्ड से अलंकृत