विकास किसे कहते हैं जनाब, यहां तो सांस लेना भी मुश्किल
शहर के नवविकसित क्षेत्रों के हालात बद से बदतर हो गए हैं। आलम यह है कि ऐसे तमाम इलाकों में विकास के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है।
जागरण संवाददाता, करनाल : शहर के नवविकसित क्षेत्रों के हालात बद से बदतर हो गए हैं। आलम यह है कि ऐसे तमाम इलाकों में विकास के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। कहने को इनमें दर्जनों निर्माण कार्य चल रहे हैं, लेकिन इनके वक्त से पूरे न होने की कीमत क्षेत्रवासी चुकाने को मजबूर हैं। विकास तो छोड़िए, धूल-मिट्टी के चौतरफा गुबार में अक्सर यहां सांस तक लेना मुश्किल हो जाता है। यकीन न हो तो शहर की विकास कॉलोनी का रुख कर लीजिए, जहां आज तलक विकास कोसों दूर है। जागरण की पड़ताल में इसी कड़वी हकीकत का बारीकी से जायजा लिया।
रांवर रोड स्थित विकास कॉलोनी में दाखिल होते ही यूं महसूस होता है कि जैसे किसी गांव-देहात में पहुंच गए हैं। हर तरफ निर्माण कार्यो के नाम पर खोदी गई गलियों और सड़कों से निकली मिट्टी के ढेर दिखाई देते हैं, तो चारों तरफ उड़ रही धूल से यहां बसे लोगों के स्वास्थ्य पर हर पल पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की बानगी बखूबी नजर आती है। क्षेत्र की मुख्य सड़क पर अर्से से जलभराव कायम है। इससे जहां कई बार हादसे का खतरा बढ़ जाता है, वहीं आसपास बसे लोगों को खासी असुविधा उठानी पड़ती है। कुछ आगे चलते ही एक बार फिर सीवर लाइन बिछाने और अन्य निर्माण कार्यो के नाम पर काफी दूरी तरह खोदी गई सड़क के कारण धूल-मिट्टी के गुबार से गुजरकर ही सफर तय करना पड़ता है।
यह इलाका नगर निगम के वार्ड छह का हिस्सा है। अर्से से इसकी बदहाली बरकरार है। क्षेत्र में काम करा रहे ठेकेदार ने बताया कि यहां केवल रेन वॉटर हार्वेस्टिग का कार्य करा रहे हैं। सीवर का कार्य किसी और के पास है। कोशिश है कि काम जल्द खत्म हो, ताकि लोगों की दिक्कत और न बढ़ने पाए। अर्से से कायम उपेक्षा से क्षेत्रवासियों के सब्र का बांध टूट रहा है। उनका कहना है कि स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो ठोस रणनीति बनाकर आवाज बुलंद करेंगे।
टॉयलेट के पाइप तक क्षतिग्रस्त
क्षेत्र के नरेश सैनी बताते हैं कि क्षेत्र में अंधाधुंध काम करते समय घरों से निकल रही टॉयलेट की पाइप लाइन तक क्षतिग्रस्त कर दी गई। बात एक-दो दिन की होती तो भी ठीक रहता लेकिन कई दिन बीतने के बावजूद काम अधूरा है। इससे तमाम परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीमारियों का कस रहा शिकंजा
ओमप्रकाश ने बताया कि हर समय धूल मिट्टी के गुबार के साथ लंबे वक्त से जलभराव होने के कारण पूरे क्षेत्र में बेहद खतरनाक संक्रामक रोगों की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसके बावजूद निर्माण कार्याें को लगातार लटकाया जा रहा है। डरा रहे हैं ऐसे हालात
क्षेत्र के सुरेश बताते हैं कि धूल मिट्टी में सांस तक लेना मुहाल हो गया है। कोरोना सरीखे वायरस की चौतरफा दहशत के बीच ऐसे हालात सचमुच डराने वाले हैं। पता नहीं, सरकार इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रही। भारती गजरौलिया कहती हैं कि क्षेत्र में सीवर लाइन बिछाने के नाम पर परेशानी झेलने के लिए बाध्य किया जा रहा है। न तो किसी जनप्रतिनिधि को चिता है और न ही संबंधित महकमों के जिम्मेदार अधिकारी यहां आते हैं। पिकी सैनी ने बताया कि घरों के आगे इतने गहरे गड्ढे खुदे हैं कि हर समय हादसों का डर बना रहता है। रात को तो यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। दीपचंद ने कहा कि बार-बार आवाज उठाने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती। न तो क्षेत्रीय पार्षद इस ओर ध्यान देते हैं और न ही जिम्मेदार अधिकारियों को इधर झांकने की फुर्सत है। ऐसे में उन्हें तमाम दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।