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छठ पर्व: रोशनी में नहाएगी पश्चिमी यमुना नहर

छठ पर्व के लिए पश्चिमी यमुना नहर के घाट की सफाई का काम जोरों पर है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 08:20 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 06:38 AM (IST)
छठ पर्व: रोशनी में नहाएगी पश्चिमी यमुना नहर
छठ पर्व: रोशनी में नहाएगी पश्चिमी यमुना नहर

जागरण संवाददाता, करनाल:

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छठ पर्व के लिए पश्चिमी यमुना नहर के घाट की सफाई का काम जोरों पर है। नहर के किनारे पर लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी लाइटिग लगाई जाएगी। सूर्य मंदिर पर लाइटिग का काम शुरू हो गया है। बच्चों की कामना हो या उनकी सुख-समृद्धि के लिए छठ पर्व पर रखे जाने वाले उपवास की प्रक्रिया भी शुरू होगी। लगभग 36 घंटे के इस व्रत में न तो भोजन करना होता है और न ही पानी का सेवन। इसके साथ-साथ व्रत से पूर्व खाए जाने वाले भोजन, जिसे नहाय-खाय और खरना बोला जाता है। पहले व्रतधारी ही पूजा के सामान का टोकरा उठाएगा, उसके बाद ही वह दूसरे की सहायता ले सकता है। व्रत से पहले भोजन की तैयारी

व्रत रखने से पूर्व नहाय-खाय हो या खरना इसकी तैयारी पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। आटा पिसाई से पूर्व जहां गेहूं की सफाई से लेकर धुलाई तक पर ध्यान दिया जाता है। वहीं आटा पिसाने से पूर्व आटा चक्की की भी सफाई और धुलाई की जाती है। सफाई होने के बाद ही गेहूं की पिसाई की जाती है। अभिभावक सौंपते हैं जिम्मेदारी

जब अभिभावक आपकी डयूटी लगाएंगे, तभी आप व्रत रख सकते हैं। यह प्रक्रिया खरना से पूर्व की जाती है। अभिभावक आपको पान, सुपारी, कच्चा चावल और रुपये सौंपते हैं और व्रत रखने की इजाजत दे देते हैं तो ही आप व्रत रख पाएंगे और सूर्य को अ‌र्घ्य देने के अधिकारी होंगे। व्रतधारी करते हैं ये पालना

छठ पर्व के दौरान व्रतधारी नंगे पांव रहता है। व्रत से पूर्व खाया जाने वाला खाने की शुद्धता पर भी ध्यान देना होता है। व्रत रखने से पूर्व जब वह भोजन करता है, जिसे खरना कहा जाता है। यदि इस दौरान कोई उन्हें नाम लेकर पुकार दे या फिर उनके आगे कंकर या बाल आ जाए तो तभी खरना बीच में छोड़ देना होता है और व्रत धारण करना होता है। यानी भरपेट भोजन करने से पूर्व ही व्रत धारण कर लिया जाता है। शुद्ध है बांस का सूप

व्रतधारी के लिए पूजा सामग्री में वैसे तो हर वो शाकाहारी चीज जिसे प्रकृति प्रदान करती है, उसका उपयोग किया जा सकता है। इसमें विभिन्न प्रकार के फल कच्चा नारियल, केला, घाघर नींबू, खीरा, मूली, हल्दी, अदरक इत्यादि की जरूरत होती है। अगर व्रतधारी यह सब न भी ले सके तो भी बांस के सूप से भी पूजा की जा सकती है, क्योंकि यह सबसे शुद्ध माना जाता है। छठ पर्व सेवा समिति के सह सचिव रामबिलास यादव, उपप्रधान शत्रुघन राय, सहप्रचार मंत्री भूषण यादव और देवेंद्र पांडे ने बताया कि लगातार लगभग 36 घंटे के इस व्रत में बिन भोजन और बिन पानी के ही व्रतधारी को रहना होता है।


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