गीला और सूखा कचरा अलग करने में जनता और नगर निगम नहीं गंभीर
शहर से रोजाना निकलने वाले करीब 200 टन कचरे का नियमानुसार निस्तारण नहीं हो रहा है। घर से लेकर प्लांट तक नियमों का कहीं पर भी पालन नहीं हो रहा है। इस अव्यवस्था के लिए कुछ लोग जिम्मेदार हैं तो कुछ नगर निगम की व्यवस्था।
जागरण संवाददाता, करनाल: शहर से रोजाना निकलने वाले करीब 200 टन कचरे का नियमानुसार निस्तारण नहीं हो रहा है। घर से लेकर प्लांट तक नियमों का कहीं पर भी पालन नहीं हो रहा है। इस अव्यवस्था के लिए कुछ लोग जिम्मेदार हैं तो कुछ नगर निगम की व्यवस्था। सबसे पहले लोग घरों में गीले व सूखे कचरे को अलग नहीं करते। एक ही डस्टबिन में डाल देते हैं। जब डोर टू डोर कूड़ा-कचरा उठाने के लिए नगर निगम का वाहन पहुंचता है तो उसमें भी कोई पार्टिशियन नहीं होता कि गीला और सूखा कूड़ा अलग किया जाए। प्लांट तक यह कूड़ा बिना कवर हुए जाता है। सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में कचरा पहुंचने के बाद उसका सेग्रीगेशन आसान नहीं है। प्लांट आठ घंटे चलना होता है, उस समय में लगभग 200 टन कचरे को प्रोसेसिग में लाना असंभव है। जिस कारण से कूड़े के ढेर लग जाते हैं। क्यों जरूरी है कचरे को अलग-अलग करना?
जब हम कचरे को अलग करते हैं तो कचरा भराव क्षेत्र में कमी आती है और कचरे से होने वाले जल और वायु प्रदूषण में भी बहुत कमी आती है। कचरा अलग करने से कचरे की प्रोसेसिग में भी आसानी होती है। सूखा कचरा रिसाइक्लिग के लिए भेज दिया जाता है और गीला कचरा खाद बनाने के लिए भेज दिया जाता है। यह है नियम
- घरों में ही कूड़े का सेग्रीगेशन होना चाहिए, इसके लिए दो अलग-अलग डस्टबिन की व्यवस्था होनी चाहिए।
- घरों से कूड़ा-कचरा उठान का एक निर्धारित समय होना चाहिए।
- नगर निगम का जो वाहन कूड़ा लेकर जाता है उसमें भी पार्टिशियन होना जरूरी।
- घरों से कचरा लेकर निकला वाहन प्लांट तक जाए तो पूरी तरह से कवर होना चाहिए। इस अव्यवस्था के कारण सबसे बड़ा हमें ही
कूड़े-कचरे का सेग्रीगेशन नहीं होने का खामियाजा लोगों को ही भुगतना पड़ रहा है। जो कचरा घरों से निकलकर प्लांट तक जाता है, सेग्रीगेशन नहीं होने के कारण प्रोसेसिग में प्रॉपर नहीं लाया जा रहा। अब यह कचरा खुले में पड़ा है, जिस कारण से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और गंभीर बीमारियां जन्म ले सकती हैं। इसकी शिकायत आसपास के लोग नगर निगम को दे चुके हैं। ऐसे करें गीले व सूखे कूड़े को अलग
-.घर में दो कूड़ेदान रखे। एक गीले कचरे के लिए दूसरा सूखे कचरे के लिए।
- रसोई से निकलने वाले प्लास्टिक को सूखे कचरे वाले कूड़ेदान में डाले। रसोई से निकलने वाले प्लास्टिक, कांच, एल्युमीनियम फॉयल वगैरह से सारे खाद्य पदार्थ निकाल दें। ये काम बर्तन को एक बार खाली पानी से धुल के आसानी से किया जा सकता है।
- पेपर वाले कचरे को अलग बैग में रख के सूखे कूड़ेदान में डाल दें।
- गीले कूड़े को घरों से रोजाना निकालें, सूख सप्ताह में एक बार निकाला जा सकता है। घरों में कूड़े का सेग्रीगेशन जरूरी है। निगम की तरफ से लोगों को जागरूक करने के लिए सक्षम युवाओं की टीम जल्द काम करेगी। हर वार्ड में उनकी मॉनीटरिग के लिए एक सुपरवाइजर नियुक्त होगा। इस समय गीला कूड़ा कम निकल रहा है। रोजाना 50 से 60 क्विटल कूड़े को हम स्लाटर हाउस स्थित प्लांट में भेज रहे हैं। जो प्रोसेस में लाया जा रहा है।
सुरेंद्र चोपड़ा, चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर नगर निगम