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चमकदार फलोंं को ताजा समझने की न करें भूल, आपकी हेल्थ को हो सकता है बड़ा नुकसान

चमकदार फल सेहत पर केमिकल अटैक कर रहे हैं। ज्यादातर फल कार्बाइड नाम के रसायन का इस्तेमाल कर पकाए जा रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 02:10 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 11:35 AM (IST)
चमकदार फलोंं को ताजा समझने की न करें भूल, आपकी हेल्थ को हो सकता है बड़ा नुकसान
चमकदार फलोंं को ताजा समझने की न करें भूल, आपकी हेल्थ को हो सकता है बड़ा नुकसान

जेएनएन, करनाल। चमकदार फल सेहत पर केमिकल अटैक कर रहे हैं। ज्यादातर फल कार्बाइड नाम के रसायन का इस्तेमाल कर पकाए जा रहे हैं, जबकि यह केमिकल खाद्य संरक्षा व मानक अधिनियम-2011 की धारा 2.3.5 के तहत बैन है। इसका भंडारण, सेल, मार्केटिंग इंपोर्ट करने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी है।

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हेल्थ विशेषज्ञों का कहना है कि कार्बाइड से पकाया गया आम या कोई भी फल शरीर को नुकसान पहुंचाता है। इसके बाद भी शहर में 380 से ज्यादा जगह सरेआम केमिकल से फल पकाए जा रहे हैं। केले और आम के साथ-साथ चीकू को भी केमिकल से पकाया जा रहा है। हार्टिकल्चर विशेषज्ञ रोहित चौहान ने बताया कि इससे केमिकल का असर फल के अंदर तक आ जाता है। सामान्यता यदि तय मात्रा और समय के लिए केमिकल से फल पकाए जाए तो यह हानिकारक तो हैं।

इसलिए और ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं फल

आम, केला, चीकू जैसे फलों को कम से कम समय में पकाने के लिए केमिकल का प्रयोग हो रहा है। शहर के बाहरी इलाकों में यह काम धड़ल्ले से चल रहा है। यहां अनट्रेंड लोग इस काम में लगे हुए हैंं। उन्हें यह तक नहीं पता कि कितना केमिकल किस फल में कितने वक्त के लिए डाला जाए, जिससे इसका असर कम से कम आए। इस वजह से होता यह है कि वह अक्सर ज्यादा रसासन ही फलों में डाल देते हैं।

जांच का कोई प्रावधान ही नहीं

सीएमओ डॉक्टर रमेश ने बताया कि हम इस तरह से फलों की जांच नहीं करते। बस यही देखा जाता है कि फल दूषित न हो। इस तरह के फल बेचने वाले के खिलाफ तो कार्रवाई करते हैं। सीएमओ ने बताया कि फलों का सैंपल उनका विभाग नहीं लेता है।

तो क्या होना चाहिए

विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे पहले तो होना यह चाहिए कि फल प्राकृतिक तरीके से पके। यदि यह संभव नहीं है तो इस बारे में स्टडी होनी चाहिए। बकायदा से एक फार्मूला तैयार होना चाहिए। जिसमें सिर्फ वहीं केमिकल प्रयोग में लाए जाए, जिससे नुकसान कम से कम हो। रोहित ने बताया कि इसके लिए एथिलीन का प्रयोग किया जा सकता है। यह कार्बाइड के मुकाबले अधिक सुरक्षित माना जाता है। इसके लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड एक समिति बनाने जा रहा है।

एथिनील सुरक्षित क्यों?

क्योंकि एथिलीन के इस्तेमाल से फल पकाने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसमें न सिर्फ तापमान नियंत्रित करना पड़ता। इसके लिए स्पेशल चैंबर बनाने पड़ते हैं। इसके प्रयोग के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति चाहिए। जिसे पूरेे सिस्टम की जानकारी हो। जिला बागवानी अधिकारी मदन लाल ने बताया कि हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इस तरह के चैंबर बनाए हैं।

यह बरतें सावधानी

केमिकल से पके फलों में कोई पोषक तत्व नहीं होतेे। इन फलों को कुछ देर पहले उसे पानी में डुुबोकर रख दें। अगर फल बहुत ज्यादा चमकदार और कड़ा लग रहा है तो इसका मतलब कार्बाइड से पका है। बिना मौसम फलों को न खरीदें। खरीद भी लिया है तो उसे पानी में भिगोकर रखें, उसके बाद ही खाएं।

केमिकल से पके फल की पहचान

  • एक दो दिन में ही काले पड़ने लगते हैं।
  • रंग भी एक सामान नहीं होता।
  • किनारे पर कच्चा और बीच में मीठा।

प्राकृतिक पके फल की पहचान

  • रंग एक समान होता है।
  • पूरे फल का टेस्ट एक जैसा होता है।
  • प्राकृतिक रूप से पके फल जल्दी खराब नहीं होते।

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