दोस्तों की यह जोड़ी है अनोखी, पानी और बिजली की समस्या यूं कर रहे आसान समाधान
हरियाणा और राजस्थान के दो युवा दास्तों की यह जोड़ी बेहद अनोखी है। इन्होंने एक अनोखा वाटर प्यूरीफायर बनाया है। जिससे बिना बर्बाद हुए साफ पानी मिलता है व बिजली की भी बचत होती है।
करनाल, [अश्विनी शर्मा]। दो दोस्तों का एक शोध पानी बचाने में क्रांतिकारी सिद्ध हो रहा है। लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के साथ ही अब तक वे पांच करोड़ लीटर पानी की बचत भी कर चुके हैं। इस पहल को संयुक्त राष्ट्र भी सराह चुका है। दोस्तों की यह जोड़ी है हरियायाा के करनाल के नवीन कुमार और राजस्थान के गंगापुर सिटी के रोहित मित्तल के रहने वाले हैं। इनका एक्युवियो ग्लोबल क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन प्रोग्राम देश से चुने गए 20 स्टार्टअप में से एक था। इसके लिए उन्हें जुलाई 2017 में अब्दुल कलाम इनोवेशन अवार्ड भी मिला।
सस्ते और कारगर वाटर प्यूरीफायर के बूते अब तक पांच करोड़ लीटर पानी की बचत की
दोनों की दोस्ती आइआइटी-बीएचयू, वाराणसी में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान हुई। दोनों वर्ष 2010 के एक ही बैच में थे। एक्युवियो नामक वाटर प्यूरीफायर बना इन्होंने पानी को शुद्ध करते हुए पानी व बिजली दोनों की खपत को आश्चर्यजनक रूप से कम करने का कारनामा कर दिखाया। बाजार में मौजूद वाटर प्यूरीफायर मिनरल को समाप्त करने के विवाद में आ जाते हैं, लेकिन इन दोनों युवाओं का दावा है कि उनके प्यूरीफायर में ऐसा नहीं होता है।
संयुक्त राष्ट्र ने की सराहना, देश से चुने गए 20 स्टार्टअप
उनका कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मापदंड के अनुसार, उनका प्यूरीफायर पानी के पोषक तत्वों को नष्ट किए बिना इसे स्वच्छ बनाता है। नवीन-रोहित कहते हैं, डब्ल्यूएचओ के मापदंडों के मुताबिक पानी में पीएच का स्तर 6.5 से लेकर 8.5 के बीच होना चाहिए। बाजार में मौजूद अधिकतर वाटर प्यूरीफायर जल को शुद्ध करने की प्रक्रिया के दौरान उसके पीएच का स्तर 6.5 से नीचे गिरा देते हैं। जबकि हमारे वाटर प्यूरीफायर में पीएच का स्तर 7 से 7.5 के बीच कायम रहता है।
वर्ष 2014 में नवीन ने बीचएयू से पढ़ाई पूरी कर शोध की ओर कदम बढ़ाए। उन्होंने पता किया कि 100 लीटर पानी में से 30 लीटर ही इस प्रक्रिया से शुद्ध होता है और बाकी पानी व्यर्थ बह जाता है। एक तरफ देश के अलग-अलग प्रांतों में जल संकट गहराता जा रहा है और दूसरी तरफ पानी को शुद्ध करने के नाम पर बेतहाशा बहाया जा रहा है। नवीन इसके बाद वापस बीएचयू लौट गए।
वहां इस बारे में अपने दोस्त रोहित से बातचीत की और व्यर्थ बहते पानी को बचाने के लिए शोध को आगे बढ़ाने को कहा। बीएचयू ने भी इस काम के लिए हामी भर दी। अक्टूबर 2014 में दोनों दोस्तों ने शोध शुरू किया और आठ माह की मेहनत के बाद जुलाई 2015 में पहला वाटर प्यूरीफायर एक्युवियो के नाम से बनाकर तैयार कर लिया। शुरुआती परीक्षण में ही यह साफ हो गया कि यह प्यूरीफायर कारगर है।
2016 में इसके लिए इन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया गया। उनके वाटर प्यूरीफायर में चार लीटर पानी डालने पर तीन लीटर पानी पीने योग्य बनता है। जबकि बाजार में मौजूद प्यूरीफायर 70 प्रतिशत तक पानी व्यर्थ कर देते हैं। तीन साल में दोनों दोस्त बनारस, लखनऊ व कानपुर में 130 वाटर प्यूरीफायर लगा चुके हैं।
दोनों का दावा है कि वे तीन साल में पांच करोड़ लीटर से ज्यादा पानी बचा चुके हैं। यह पानी पांच लाख घरों की एकदिन की जरूरत को पूरा करता है। 2100 किलोवाट बिजली की बचत भी कर चुके हैं। इतनी बिजली २१ हजार घरों की एक दिन की डिमांड को पूरा करती है। नवीन ने बताया कि एनसीआर के साहिबाबाद क्षेत्र में इसी साल वह अपनी फैक्टरी शुरू करने जा रहे हैं।