बायोप्रोसेस टेक्नोलॉजी के उपयोग से डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार : डॉ. जीआर पाटिल
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में डेयरी और खाद्य प्रसंस्करण में जैव-प्रक्रिया प्रौद्योगिकी के उभरते रुझान पर 21 दिनों के रिफ्रेशर कोर्स का उद्घाटन किया गया। जिसमें संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. जीआर पाटिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।
जागरण संवाददाता, करनाल
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में डेयरी और खाद्य प्रसंस्करण में जैव-प्रक्रिया प्रौद्योगिकी के उभरते रुझान पर 21 दिनों के रिफ्रेशर कोर्स का उद्घाटन किया गया। जिसमें संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. जीआर पाटिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने डेयरी प्रसंस्करण के क्षेत्र में बायोप्रोसेस और जैव प्रौद्योगिकी इंजीनियरिग की भूमिका पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि बायोप्रोसेस टेक्नोलॉजी के उपयोग से डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ डेयरी उत्पादों की मात्रा को बढ़ाने में भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि बायोप्रोसेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आमतौर पर खाद्य किण्वन में डेयरी और खाद्य प्रसंस्करण में किया जाता है। कार्यात्मक खाद्य पदार्थों के निर्माण और डेयरी उत्पादों के जैव-संरक्षण के लिए सामग्री के विकास में बायोप्रोसेस टेक्नोलॉजी बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है। संस्थान के निदेशक डॉ. आरआरबी सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य के कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और शिक्षकों को उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के विकास में जैव-प्रक्रिया प्रौद्योगिकी की भूमिका को जानने में बहुत उपयोगी होगा। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जैव-प्रक्रिया प्रौद्योगिकी को खाद्य पैकेजिग की गुणवत्ता के विकास और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और रोगजनकों का पता लगाने के लिए तथा सेंसर के विकास उपयोग किया जा सकता है।
डॉ. लता सबीखी डेयरी प्रौद्योगिकी प्रभाग प्रमुख और पाठ्यक्रम निदेशक ने बताया कि यह प्रशिक्षण सेंटर ऑफ एडवांस्ड फैकल्टी ट्रेनिग द्वारा डेयरी प्रौद्योगिकी प्रभाग में आयोजित किया जा रहा है और इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 14 प्रतिभागियों ने भाग लिया है।