रेलवे स्टेशन की व्यवस्था तो बदली पर एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव पर ध्यान नहीं
स्थानीय रेलवे स्टेशन को मॉडल का दर्जा मिलने के बाद व्यवस्था में तो इजाफा हुआ लेकिन पर्याप्त नहीं।
जागरण संवाददाता, करनाल : स्थानीय रेलवे स्टेशन को मॉडल का दर्जा मिलने के बाद व्यवस्था में तो इजाफा हुआ, लेकिन पर्याप्त नहीं। करीब पांच साल में रेलवे स्टेशन पर साफ-सफाई के साथ ही संसाधनों को बढ़ाने पर जोर दिया गया। कुछ प्रोजेक्ट अंडर प्रोसेस हैं। दावा है कि स्टेशन आने वाले समय में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इस दावे पर यात्री सवाल खड़ा कर देते हैं। आवाज यही आती है कि इन सुविधाओं का तभी फायदा है, जब यहां ट्रेनों का ठहराव होगा। स्टेशन पर आधुनिक वेटिग रूम, मदर फीडिग रूम, खान-पान की व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है, तो एफओबी का काम अंतिम चरण में है।
गुजरती हैं रोजाना 122 गाड़ियां
स्टेशन से रोजाना पूजा एक्सप्रेस, शताब्दी सहित सुपरफास्ट और पैसेंजर मिलाकर 122 गाड़ियां गुजरती हैं। इनमें केवल 62 रेलगाड़ियां स्टेशन पर रुकती हैं। इनका ठहराव भी मात्र दो मिनट का है। स्टेशन पर यात्रियों की प्रतिदिन औसत संख्या करीब 15 हजार पहुंच चुकी है। करनाल स्टेशन से रेलवे को प्रतिदिन करीब 10 से 12 लाख रुपये की इनकम होती है। इसके बाद भी शहरवासियों की पुरानी मांगों पर अमल नहीं हो रहा है। दैनिक यात्रियों के आग्रह के बाद भी कालका-साइनगर सुपरफास्ट एक्सप्रेस का ठहराव नहीं हो रहा है। करनाल स्टेशन से रेलवे को प्रतिदिन करीब करीब 12 लाख रुपये की आय होती है। इसके बाद भी शहरवासियों की पुरानी मांगों पर अमल नहीं हो पाया है।
124 वर्ष पुराने स्टेशन को जंक्शन का दर्जा प्राप्त नहीं
करनाल रेलवे स्टेशन ऐतिहासिक महत्व का श्रेणी का हेरिटेज स्टेट्स प्राप्त रेलवे स्टेशन है। 1892 में ईस्ट इंडिया रेलवे ने यह स्टेशन बनवाया था। यह स्टेशन दिल्ली-चंडीगढ़ और हरियाणा के मध्य स्थित है। 124 साल के स्टेशन को अब तक जंक्शन का दर्जा नहीं मिल पाया है।
दिखाए जा रहे रैपिड मेट्रो के सपने, एक्सप्रेस गाड़ियां तक रुकती नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि लोगों को रैपिड मेट्रो लाने के सपने दिखाए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यहां पर सभी एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों तक का ठहराव नहीं है। करीब 125 वर्ष पुराने इस रेलवे स्टेशन को बेहतर बनाने के दावे तो किए गए, लेकिन ये दावे कभी पूरे नहीं किए गए।
टैक्स ज्यादा, सुविधा कम
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ के टोटल इनकमटैक्स 35 हजार करोड़ में 55 फीसदी यानी 19 हजार करोड़ रुपये अकेले हरियाणा का योगदान है, लेकिन टैक्स ज्यादा देने के बावजूद हरियाणा को लाभ नहीं मिल रहा। करनाल भी टैक्स देने में पीछे नहीं है। पड़ोसी राज्य पंजाब में नई दिल्ली अमृतसर शताब्दी एक्सप्रेस के पंजाब में 225 किलोमीटर की दूरी पर छह स्टॉपेज हैं, जबकि यह ट्रेन हरियाणा में केवल एक जगह अंबाला में थमती है।
क्या है स्थानीय लोगों की मांग
-मेट्रो ट्रेन करनाल तक लाने की पक्की ठोस प्लानिग हो, फिलहाल मेट्रो ट्रेन दिल्ली से आइओसीएल रिफाइनरी पानीपत तक प्रस्तावित है। इस मेट्रो ट्रेन को पानीपत से आगे बढ़ाकर करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, चंडीगढ़ तक चलाया जाना बहुत जरूरी है।
- रेल कोच फैक्टरी की मांग बहुत पुरानी, लोगों ने कांग्रेस सरकार में भी रोजगार के लिए इस फैक्ट्री का इंतजार किया और अब जब केंद्र और हरियाणा में भाजपा सरकार है तब भी कर रही है।
-हरियाणा सबसे अधिक इनकम टैक्स देता है, इसलिए करनाल में सभी शताब्दी व ट्रेनों का स्टॉपेज हो। वर्जन
रेलवे स्टेशन के अधीक्षक नरिद्र सिंह ने कहा कि स्टेशन की व्यवस्था में काफी परिवर्तन हुआ है। सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद है। विभाग की ओर से जिन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था वे अंतिम चरण में हैं। एफओबी भी जल्द यात्रियों को समर्पित हो जाएगा। स्टेशन के बेहतर व्यवस्था बनाए रखने में यात्रियों का अहम योगदान है।