बेसहारा गोवंश बचाने की मुहिम चला रहे संग्राम
सड़कों पर खड़े बेसहारा गोवंश की सेवा के लिए खुद खर्च करने का हौसला विरले की दिखाते हैं।
जसबीर राणा, असंध: सड़कों पर खड़े बेसहारा गोवंश की सेवा के लिए खुद खर्च करने का हौसला विरले ही दिखाते हैं। रख-रखाव के साथ साथ सड़क हादसों में घायल गोवंश को उठाकर चिकित्सालय लाना और उनकी मरहम पट्टी करना यकीनन बड़ी सेवा है। अपनी टीम के साथ सालवन गांव वासी युवा समाजसेवी संग्राम सिंह राणा यही मिसाल पेश करते हुए बेसहारा गोवंशों का सहारा बने हुए हैं। दैनिक जागरण की ओर से इन दिनों बेसहारा गोवंश को सुरक्षित स्थलों पर पहुंचाने की मुहिम ने उनका उत्साह दोगुना कर दिया है।
संग्राम सिंह राणा ने दैनिक जागरण की मुहिम का धन्यवाद करते हुए कहा कि इससे गांव से लेकर शहर तक गोवंश सुरक्षित होगा और सड़कों पर हादसों में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि हिदू धर्म में जहां गाय को माता का दर्जा दिया गया है वहीं आज के समय मे गाय की हो रही बेकद्री भी किसी से छिपी नहीं है। सैंकड़ों की संख्या में गाय सड़कों पर मिलना अब आम बात हो चुकी है। सड़क पर घूम रही ये बेसहारा गाय हर रोज सड़क हादसों का शिकार भी हो रही हैं लेकिन इनकी तरफ न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही प्रशासन।
बॉक्स
अपनी जमीन पर चिकित्सालय खोला, कर रहे सेवा
बेसहारा गोवंशों के लिए संग्राम सिंह राणा ने अपनी एक एकड़ जमीन में गायों के रख-रखाव के लिए चिकित्सालय खोल दिया। मच्छरों के प्रकोप से बचाने के लिए मछरदानी और खाने के लिए सैकड़ों क्विंटल भूसे का गांव के सहयोग से इंतजाम किया गया है। राणा ने बताया कि हादसे के शिकार गोवंश के इलाज का खर्च वह खुद उठाते हैं। गोरक्षा दल की टीम दीपक राणा, अनुभव राणा, रवि पहलवान, गौरव, योगेश,अजय, हर्ष, प्रवीण, रविदर सहित कई अन्य लगभग 15 किलोमीटर के दायरे में कही भी अगर हादसे की सुचना मिलती है तो गाय का चिकित्सालय में इलाज करते हैं। बॉक्स---
सैकड़ों जख्मी गोवंश का कर चुके हैं इलाज
राणा ने बताया कि हमारी टीम अभी तक सैकड़ों गोवंश का इलाज कर चुकी है। टीम के सेवा भाव से सभी ठीक हुई हैं। सरकार भी इसकी ओर ध्यान दे तो बड़ा सहयोग हो सकता है। चिकित्सालय में सैंकड़ों गाय रख सेवा कर रहे संग्राम ने कहा कि इसकी प्रेरणा बुजुर्गो से मिली है। जनता गाय का दूध पीकर उसे छोड़ने की गलती कर रही है। सभी को अपने पास एक गाय रखकर सेवा जरूर करनी चाहिए। ग्रामीणों का कहना है कि संग्राम राणा ने छोटी सी उम्र में बढ़ी सोच का काम किया है।