Move to Jagran APP

मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों की कमी मरीजों पर पड़ रही भारी

करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 06:20 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 06:20 AM (IST)
मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों की कमी मरीजों पर पड़ रही भारी
मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों की कमी मरीजों पर पड़ रही भारी

जागरण संवाददाता, करनाल : राज्य सरकार के करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद प्रबंधन की लापरवाही से कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। व्यवस्था के नाम पर ओपीडी में किए जा रहे प्रयोगों से मरीजों को समय से न तो इलाज मिल रहा है और न ही जांच के बाद दवा। वरिष्ठों की लाइन तो अलग से लगा दी गई, लेकिन दवा बांटने के लिए कर्मचारी की संख्या कम पड़ रही है। बुजुर्गो को इलाज के लिए प्रबंधन की अव्यवस्था की परीक्षा को पास करने में मुश्किल हो रही है। लाचारी की हालत में अगर बुजुर्ग कुर्सी पर बैठते हैं तो उनका नंबर कट हो जाता है और दवा लेने में दो घंटे बाद नंबर लग रहा है।

loksabha election banner

प्रबंधन जानबूझ कर करता परेशान

फोटो 36

पिचौलियां गांव के ओम प्रकाश ने बताया कि करोड़ों रुपये लगाने के बावजूद यहां बुजुर्गो का इलाज नहीं मिल रहा है। व्यवस्था के नाम पर अगर बुजुर्गो को दो घंटे लाइन में लगना पड़ रहा है। बीमार हालत में अगर लाइन से हट कर कुर्सी पर बैठते हैं तो दोबारा नंबर आने में समय लग रहा है। प्रंबधन जानबूझकर दवा खिड़की पर कर्मचारी और बुजुर्गों को लाइन में लगा रहा है।

दवा देने वाले कर्मचारियों की संख्या में इजाफा जरूरी

फोटो 37

67 वर्षीय हरीराम ने बताया कि बुखार की जांच कराने के लिए गांव से सुबह सात बजे निकले थे और आठ बजे मेडिकल कॉलेज पहुंच गए थे। पहले तो टोकन लेकर पर्ची बनवाने के लिए दो घंटे से अधिक समय लग गया। अब जांच के बाद दवा लेने के लिए लाइन में लगे हुए हैं। बारी आने पर मरीज को खिड़की पर दवा मिलने में 15 से 20 मिनट लग रहे हैं। दवा बांटने के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी होगी।

चार बार लगनी पड़ती लाइन में

फोटो 38

महमदपुर गांव निवासी सुमित्रा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज का हाइवे बेल्ट पर अच्छा खासा नाम है और इलाज भी बेहतर मिलता है, लेकिन उच्चाधिकारी योजनाएं बनाने में फेल हो रहे हैं। सभी जानते हैं कि सोमवार को ओपीडी में भीड़ रहती है, लेकिन आज के दिन भी अलग से कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई नहीं जाती है। यहां के हालात ऐसे हैं कि टोकन, फाइल, जांच, दवा के लिए चार बार लाइन में लगना पड़ता है। इसके अलावा, धनौरा गांव निवासी माया ने बताया कि 20 दिन से अस्पताल में सीटी स्कैन नहीं किया जा रहा है। आज भी बिना सीटी स्कैन के डॉक्टर ने लौटा दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.