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गारबेज फ्री सिटी में हासिल करेंगे सेवन स्टार : उपायुक्त

जागरण संवाददाता करनाल नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के लिए कमर कस ली है। इसके चलते श्

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 08:24 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 08:24 AM (IST)
गारबेज फ्री सिटी में हासिल करेंगे सेवन स्टार : उपायुक्त
गारबेज फ्री सिटी में हासिल करेंगे सेवन स्टार : उपायुक्त

जागरण संवाददाता, करनाल : नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के लिए कमर कस ली है। इसके चलते शहर को ओर अधिक साफ-सुथरा बनाने के लिए कई तरह की गतिविधियां चालू कर दी गई हैं। पिछले सर्वेक्षण की तुलना में इस बार सर्विस लेवल प्रोग्रेस और जन जागरूकता पर शहर ज्यादा नंबर बटोरेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है।

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करनाल नगर निगम की नजर सर्वेक्षण के छह हजार नंबरों में से अकेले सर्विस लेवल प्रोग्रेस के पूरे 2400 नम्बर हासिल करने पर टिकी है। इसे लेकर एक तरफ शहर का सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बखूबी अपना काम कर रहा है, तो दूसरी ओर काछवा रोड स्थित स्लाटर हाऊस में बायोगैस प्लांट एफुलेंट से जैविक गैस बना रहा है। निगम प्रशासन का मानना है कि सक्षम युवा गली-मोहल्लों में लोगों को गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग रखने जैसी जानकारी देकर पब्लिक अवेयरनेस में अच्छे अंक दिला सकते हैं।

उपायुक्त एवं जिला नगर आयुक्त निशांत कुमार यादव ने सोमवार को बताया कि न केवल करनाल शहर, बल्कि पूरा जिला 2017 में खुले में शौच से मुक्त घोषित हो गया था। इसके बाद शहर को ओडीएफ प्लस तथा ओडीएफ प्लस-प्लस का टैग मिला और अब इस कड़ी की अंतिम उपलब्धि वाटर प्लस पर काम किया जा रहा है। उपायुक्त ने बताया कि पिछली बार करनाल जीएफसी में दो बार थ्री स्टार हासिल करने वाला प्रदेश का अकेला शहर घोषित हुआ था। इस बार का लक्ष्य सेवन स्टार हासिल करना है और इसके लिए हम जोर-शोर से प्रयासरत हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से शहर में घर-घर से कूड़ा कलेक्शन के लिए 40 टिप्परों की खेप इसी सप्ताह में पूरी हो जाएगी, जो नगर निगम को मिलेंगे। अब तक 28 टिप्पर आ चुके हैं, जबकि शेष 12 कुछ ही दिनो में आएंगे। सात स्टार के लिए भी ओडीएफ की तर्ज पर अलग से सर्वेक्षण होगा और उम्मीद रहेगी कि हम इसमे कामयाब रहें। ताकि पानी न हो बर्बाद

जिला नगर आयुक्त ने बताया कि जन शौचालयों से रोजाना निकलने वाले हजारों लीटर पानी को एसटीपी के जरिए ट्रीट करके उसे साफ किया जा रहा है। नियमानुसार इस तरह से उपचारित पानी की 30 प्रतिशत मात्रा को दोबारा प्रयोग में लाना होता है, चाहे उसे इरीगेशन में या कच्चे रास्तों पर छिड़काव या ग्रीन बेल्ट में प्रयोग करें और ऐसा ही हो रहा है। उपचारित पानी को कृषि, सिचाई में प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रकार हमारा शहर ओडीएफ के सभी 4 स्तर को हासिल करने वाला प्रदेश का पहला शहर होगा।


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