पराली जलाने वालों पर होगी सख्ती, सेटेलाइट की मदद से रखी जाएगी पैनी नजर
जागरण संवाददाता करनाल धान के अवशेषों को ना जलाकर उसको खाद के रूप में प्रयोग करने के
जागरण संवाददाता, करनाल : धान के अवशेषों को ना जलाकर उसको खाद के रूप में प्रयोग करने के लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि विभाग की ओर से किसान गोष्ठियां आयोजित कर उन्हें अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराया जा रहा है। अवशेष जलाने वालों पर इस बार जिला प्रशासन सख्ती से निपटेगा। अपने स्तर पर भी प्रकार की तैयारियां कर ली गई हैं। सेटेलाइट के माध्यम से विशेष निगरानी रखी जाएगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन कानूनी कार्रवाई कर सकता है। वह भी सबूत के साथ। दरअसल, प्रदेश में पराली जलाने वालों पर निगरानी रखने के लिए पहली बार सेटेलाइट तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। दो प्रकार के सेटेलाइट प्रतिदिन अपने आंकड़े जुटाते हैं। जिन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कृषि विभाग के पास भेजा जाता है, ताकि पराली जलाने वालों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा सके। हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर सुओमी रिसोर्स सेट दो प्रकार की सेटेलाइट से निगरानी रखेंगे। इसमें रोजाना डेटा लिया जाता है। सुओमी सेटेलाइट प्रतिदिन दोपहर तक आंकड़े देती है तो रिसोर्स सेट प्रत्येक पांच दिन बाद फायर प्वाइंट की बेहतर तस्वीर देगी। ताकि फायर प्वाइंट को पहचाना जा सके। पराली जलाने पर एफआइआर तक का प्रावधान
धान निकालने के बाद खेतों में बचने वाले अवशेष यानि पराली किसानों के किसी काम की नहीं होती। इसलिए अक्सर किसान इसे खेतों में ही आग के हवाले कर नष्ट कर देते हैं। किसानों का काम इससे आसान हो जाता है, मगर पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। पराली के धुएं से निकलने वाली गैसें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पराली जलाने वालों पर मुकदमा दर्ज करा सकता है जुर्माना लगाने तक का प्रावधान है। किसानों को किया धान के अवशेष ना जलाने के लिए प्रेरित
करनाल : संगोही गांव में हॉर्टीकल्चर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन पर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें किसानों को अवशेष ना जलाने के लिए जागरूक किया गया। गोष्ठी में उप कृषि निदेशक डा. आदित्य प्रताप डबास, डीडीएम नाबार्ड अभिमन्यु मालिक, डा. एसपी तोमर व जयकुमार श्योराण ने भाग लिया। जिसमें किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए प्रेरित किया। डा. एसपी तोमर ने कहा कि अवशेषों को जलाने की बजाय उसको खाद के रूप में प्रयोग करें। जमीन के अंदर ही गलाएं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति मजबूत होती है। किसानों को परंपरागत खेती के तरीके को छोड़कर आधुनिक तकनीक अपनानी होगी।