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वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को दवा लेने में हो रही परेशानी

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों को टोकन से दवा लेने तक घंटों परेशान होना पड़ रहा है जिसके चलते मरीजों की लंबी कतार लग रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 02:00 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 06:18 AM (IST)
वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को दवा लेने में हो रही परेशानी
वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को दवा लेने में हो रही परेशानी

जागरण संवाददाता, करनाल : कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों को टोकन से दवा लेने तक घंटों परेशान होना पड़ रहा है, जिसके चलते मरीजों की लंबी कतार लग रही है। बदलते मौसम में ओपीडी की संख्या में इजाफा हो रहा है, जबकि व्यवस्था के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन गंभीर नहीं है। वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को दवा लेने के लिए परेशान होना पड़ता है। आधुनिक सुविधाओं से लेस होने के बावजूद यहां दूरदराज से पहुंचने वाले मरीज और तीमारदारों को दवा लेने के लिए सुबह से दोपहर हो रही है। सर्दी के कारण रोजाना 3500 से अधिक ओपीडी हो रही है। आठ बजे पहुंचे थे, 12.44 बजे दवा मिली

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बालपबाना के नीटू ने बताया कि सुबह आठ बजे यहां पहुंच गए थे और अब दोपहर के 12.44 बज रहे हैं। टोकन से लेकर दवा लेने तक चार घंटे से अधिक समय लगाया जा रहा है। मरीजों की भीड़ को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को स्टाफ तैनात करना चाहिए। लाइन में लगे मरीजों को नजरअंदाज कर पहचान के लोगों को पहले डॉक्टर के पास भेजा जा रहा है। खून जांच के लिए लगते दो दिन

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नीलोखेड़ी के सीकरी गांव निवासी रिकू ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में गंभीर मरीजों को पीजीआइ रेफर कर दिया जाता है। बेहतर इलाज के कारण जिला करनाल के साथ-साथ पानीपत और उत्तर प्रदेश के साथ लगते क्षेत्र से यहां लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। डेढ़ साल पहले व्यस्था के मुकाबले सुधार किया गया है, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही के कारण खून जांच रिपोर्ट आने में दो दिन लग जाते हैं। ओपीडी में मरीजों की संख्या के हिसाब से स्टाफ नियुक्त नहीं किया जा रहा है। बेतरतीब पार्किंग व्यवस्था

अमित कुमार ने बताया कि मेडिकल परिसर में पार्किंग व्यवस्था को नियंत्रण में नहीं किया जा रहा है। ओपीडी के चारों तरफ वाहन चालकों का कब्जा है और चार पहिया वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। दो पहिया वाहन चालकों को बाइक खड़ी करने के लिए घेरा बना दिया गया है। ओपीडी के सामने रस्सियों के माध्यम से रास्ता ब्लॉक होने के कारण स्ट्रेचर पर आने वाले मरीजों और तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।


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