हमने तो सोचा भी नहीं था अपनी छत भी होगी पक्की
हमने कब सोचा था कि हमारी छत भी पक्की हो जाएगी। पहले बारिश के दिनों में यही चिता रहती थी कि कहीं कच्चा मकान गिर नहीं जाएं। दीवार कमजोर होने से भी डर रहता था।
जागरण संवाददाता, करनाल: हमने कब सोचा था कि हमारी छत भी पक्की हो जाएगी। पहले बारिश के दिनों में यही चिता रहती थी कि कहीं कच्चा मकान गिर नहीं जाएं। दीवार कमजोर होने से भी डर रहता था। ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना हमारे लिए एक मददगार के रूप में सामने आई। योजना से मिली ग्रांट से अपना मकान पक्का करवा लिया। यह बताते हुए निगदू गांव की वाल्मीकि बस्ती की दर्शना देवी के चेहरे पर चमक आ जाती है। दर्शना देवी के घर पहुंचने पर आभास हुआ कि लाभ पात्र तक इस योजना का लाभ पहुंचा है। घर का नीले रंग से पोता गया है। उस पर अंकित किया गया है कि इस योजना का लाभ इस परिवार को मिला है। दर्शना का पति लक्ष्मण दिहाड़ी मजदूरी करता है। जागरण संवाददाता उनके आवास पर पहुंचे और दर्शना से मुलाकात की तो उसने झट से कहा कि इस योजना ने तो जैसे उनकी बरसों की कामना पूरी कर दी।
दर्शना ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं। पति दिहाड़ी मजदूरी करके किसी तरह से घर का गुजर बसर कर रहा है। ऐसे में मकान को पक्का करवाने की वह सोच भी नहीं सकते थे। तीन साल पहले इस योजना के बारे में पता चला तो फार्म भर दिया था। इसके बाद उनकी ग्रांट नहीं आई। डेढ़ साल पहले दोबारा फार्म भरा तो उनकी ग्रांट मंजूर हो गई। सरकार से मिली ग्रांट से उन्होंने अपना घर पक्का करवा लिया। अब उन्हें जीवन में कोई चिता नहीं है। बच्चे पढ़-लिख जाएंगे और आगे अपने भविष्य के बारे में सोचेंगे। इसी बस्ती की महिला सीमा भी इस योजना के लाभपात्रों में शामिल है। लेकिन अभी उसकी ग्रांट नहीं आई है। सीमा का कहना है कि उनका नाम देर से योजना में आने से ग्रांट आने में देरी हुई है। 70 साल की छन्नो को अभी भी ग्रांट का इंतजार
इसी बस्ती में रहने वाली निगदू निवासी 70 साल की छन्नो के मकान में जाकर लगा कि अभी इस योजना के प्रति और गंभीरता दिखाए जाने की जरूरत है। वह कच्चे मकान में अकेली रहती है। उनके घुटनों में दर्द रहता है। मकान गली से करीब दो फीट नीचे है। घर से बाहर आने जाने में ही उन्हें खासी दिक्कत उठानी पड़ती है। उनके दो बेटे हैं और दोनों ही पास नहीं रहते। छन्नो ने चाय-पानी पूछते हुए कहा कि आप ग्रांट दिलवा सकते हो क्या। मेरे में अब इतनी हिम्मत भी नहीं है कि सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट सकूं। उसने भी इस योजना का फार्म भरा था, लेकिन कोई ग्रांट देने नहीं आया। वह गेट पर हलकी सी आवाज होने पर यही सोचती है कि शायद कोई सरकारी आदमी ग्रांट की चिट्ठी लेकर आया हो। दो बार शपथ पत्र जमा कराने के बाद भी लिस्ट में नहीं आया नाम
इसी तरह से निसिग के वार्ड नंबर पांच की महिला कुलदीप कौर की भी कहानी है। उसने जून 2017 में अपने नाम से योजना का लाभ लेने हेतु आवेदन किया था। उस समय उसके नाम जमीन नही थी। जिसके लिए वह दो बार पति का मृत्यु प्रमाण पत्र व खुद का शपथपत्र जमा करवा चुकी है। बावजूद भी लिस्ट में उसका नाम नही आया। इंद्री के कमालपुर रोड़ान निवासी मलखान की दास्तां भी कुछ ऐसी ही है। उसका कहना है कि उसका मकान जर्जर हालत में है। बरसात के दिनों में घर के अंदर बड़ा भय लगता है। वह आवास योजना का पात्र है, उसे पता चला कि पिछली बार उसका नाम पात्रों की मकान लिस्ट में आया था लेकिन मकान का अनुदान नहीं मिला और इस बार उसका नाम पात्रों की लिस्ट में नहीं शामिल किया गया है। 1621 लोगों को जारी हो चुकी है ग्रांट
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिले में अब तक 1621 लोगों को ग्रांट जारी हो चुकी है। जबकि इस योजना के लाभपात्रों में 2044 लोग शामिल हैं। योजना के शुरूआती सर्वे में करीब 10 हजार लोगों की सूची तैयार हुई थी। वास्तविक लाभपात्रों तक इस योजना का लाभ पहुंचाने की अंतिम सूची में 2044 लोग रह गए थे।